फर्रुखाबाद: जिलाधिकारी मुथुकुमार स्वामी बी के जनपद में आने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली थी और सोचा था कि अब प्रशासनिक व्यवस्था में कुछ सुधार होंगे। लेकिन तेज तर्रार डीएम का चाबुक अधिकारियों पर जितने समय तक चला उतने समय तक ही अधिकारी उनके इशारों पर काम करते रहे। लेकिन उनके जनपद से छुट्टी पर जाते ही अधिकारी व कर्मचारी अपने पुराने ढर्रे पर आ गये हैं। जिससे जनपद के हर विभाग में इस समय भ्रष्टाचार चरम सीमा पर पहुंच चुका है। वहीं जनपद के आरटीओ कार्यालय में तो भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार है। यहां पर सुबह होते ही दलालों का जमघट लग जाता है और शाम ढलने तक दूर दराज से आने वाले जरूरतमंदों को कार्यालय से बाहर ही दलालों द्वारा मोटी रकम लेकर फर्जी तकरीके से ड्राइविंग लाइसेंस से लेकर फर्जी रजिस्ट्रेशन तक किये जा रहे हैं। इसी के चलते शुक्रवार को भी एक दलाल का जब काम करने से लिपिक ने मना कर दिया तो गुस्साये दलाल ने कार्यालय में तोड़फोड़ कर दी।
जानकारी के अनुसार कचहरी से एक दलाल शुक्रवार को अपनी तमाम फाइलों को लेकर आरटीओ कार्यालय पहुंच गया। आरटीओ कार्यालय में दलाल ने पहुंचकर वहां मौजूद बाबू आशुतोष शुक्ला से फर्जी तरीके से कार्य करने के लिए दबाव बनाया। जिस पर आशुतोष शुक्ला ने काम करने से इंकार कर दिया। इतना सुनते ही दलाल ने बाबू से अभद्रता करते हुए कार्यालय में पड़ी कुर्सियों को फेंकना शुरू कर दिया। बाबू ने तोड़फोड़ करने की सूचना कोतवाली पुलिस को दी। जिस पर कोतवाली पुलिस घटना स्थल पर पहुंची। तब तक दलाल मौके से खिसक चुके थे।
आरटीओ कार्यालय में भ्रष्टाचार के चलते प्रति दिन कुछ न कुछ बबाल होता ही रहता है लेकिन कर्मचारियों, अधिकारियों व पुलिस की मिलीभगत से आज तक कोई भी दलाल या फर्जीबाड़ा करने वाला व्यक्ति पकड़ा नहीं गया है। कार्यालय के सामने ही फर्जीवाड़ा करने की कई बार मीडिया द्वारा खुलासा भी किया गया, इसके बावजूद अधिकारी निष्क्रिय के निष्क्रिय बने हुए हैं। जब भी आरटीओ कार्यालय में किसी उच्चाधिकारी का दौरा होता है तो सिर्फ एक ही रोना रोया जाता है कि साहब यहां तो दलालों से परेशान रहते हैं लेकिन आज तक किसी उच्चाधिकारी ने कोई ऐसा कारगर उपाय नहीं किया है जिससे आरटीओ कार्यालय दलालों के चंगुल से मुक्त हो सके और आम आदमी का काम बिना घूस के सीधा हो सके।