फर्रुखबाद: दरगाह हुसैनिया मुजीबिया के तीसरे सज्जादा नसीन सैय्यद शाह अशफाक हुसैन के 17वें सालाना उर्स में दरगाह हुसैनिया मुजीबिया पर हजारों अकीदतमंदों ने माथा टेक कर चादरपोशी की। दरगाह के सज्जादानशीन शाह फसीह मुजीबी ने सभी की सलामती की दुआ की। इस दौरान कब्बालों ने सैय्यद शाह अशफाक हुसैन की शान में बेहतरीन कब्बाली पेश कर समां बांधा।
सैय्यद शाह अशफाक हुसैन की पैदाइश 3 रमजानुल मुबारक 1343 हिजरी मुताबिक 31 मार्च 1925 ई0 बतायी जाती है। इनके वालिद सैय्यद शाह शराफत अली मियां वारसी रहमतुल्लाह एवं वालिदा सैय्यद साबरा खातून रहमतुल्ला थीं। सैय्यद शाह अशफाक हुसैन के नवासे हजरत सैय्यद शाह फरखुन्द अली उर्फ फुन्दन मियां रज्जाकी मुजीबी रहमतुल्ला थे।
सैय्यद शाह अशफाक हुसैन दरगाह हुसैनिया मुजीबिया के तीसरे सज्जादा नसीन 30 जून 1944 में बने जिनका नाम बाद में शाह अशफाक हुसैन मुजीबी रज्जाकी रहमतुल्लाह पड़ा। इनका विसाल 21 शव्वालुल मुकर्रम (ईद) के चांद की 21 तारीख 1916 हिजरी मुताबिक 12 मार्च 1996 ई0 में हुआ।
दरगाह हुसैनिया मुजीबिया के तीसरे सज्जादानशीन सैय्यद शाह अशफाक हुसैन मुजीबी रज्जाकी के 17वें सालाना उर्स में इतवार को सुबह 7 बजे ही कुरान ख्वानी का आयोजन किया गया। जिसके बाद 10 बजे सैय्यद शाह अशफाक हुसैन की दरगाह पर चादरपोशी के साथ ही महफिले मुबारकबाद कुल व फातेहा बादहू लंगर-तुआम का भी आयोजन किया गया। फर्रुखाबाद के कब्बालों ने सैय्यद शाह अशफाक हुसैन की शान में बेहतरीन कलाम पेश किये। इस दौरान “इसलिए गुलशन मेरा गुलजार है, मेरे गुलशन में बहारे यार है”, की मौजूद हजरात ने तारीफ की।
इस दौरान हाजी मुन्ना वेलकम, काजी सैय्यद मुताहिर अली, हाफिज हारून, हाफिज तनवीर रजा ने व्यवस्था में सहयोग किया। उर्स में हजारों अकीदतमंदों ने शिरकत की।