अफवाहों का बाजार बने फेसबुक व ट्विटर: सांसद में उठी प्रतिबंध की मांग

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सोशन नेटवर्किंग सइट्स अब नफरत व अफवाहें फैलाने का उपकरण बनते नजर आ रहे हैं। कई बार तो किसी अन्य देश की घटनाओं तक को भारत के संदर्भ में दर्शाकर घृणा-परक संदेश दिये जा रहे हैं। फेसबुक व ट्विटर पर अफवाहों के बाद नॉर्थ ईस्‍ट के लोगों बंगलुरू से पलायन की घटना ने संसद भवन में भी हलचल पैदा कर दी। इसी हलचल के बीच समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने सरकार से फेसबुक, ट्विटर आदि सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर डाली। वहीं लालू यादव ने इस अफवाह को देश को तोड़ने की साजिश बताया।
सदन में बोलते हुए रामगोपाल वर्मा ने कहा कि यह तो सिद्ध हो गया है कि दो ब्‍लॉग साइटों ने यह अफवाह फैलाई है, कि बैंगलोर, मुंबई, चेन्‍नई आदि शहरों में नॉर्थ ईस्‍ट के लोगों पर हमले होने वाले हैं। इस अफवाह को हवा मिली है सोशल नेटवर्किंग साइटों फेसबुक और ट्विटर की वजह से, तो क्‍यों न इन साइटों पर देश में प्रतिबंध लगा दिया जाये।

वहीं गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि जांच एजेंसियां अफवाह उड़ाने वालों का पता लगाने में जुटी हुई हैं और जल्‍द ही पुलिस उन्‍हें धर दबोचेगी। शिंदे ने उन कंपनियों से नॉर्थ ईस्‍ट के लोगों को दोबारा नौकरी पर रखने की भी अपील की है, जहां लोगों ने अपने इस्‍तीफे दे दिये हैं।

विदित है कि विशेषकर फेसबुक इस समय घृणा के सौदागरों का अड्डा बनता जा रहा है। उदाहरण के तौर पर एक कश्मीरी समाचार वेबसाइट (http://dailykashmirimages.com/news-bsf-constable-apprehended-for-misbehaving-with-girls-24212.aspx) पर एक बीएसएफ जवान को लड़कियों से छेड़छाड़ करते पकड़कर स्थानीय नागरिकों ने पीट कर पुलिस को सौंप दिया। इस समाचार में लगे फोटो को लोगों ने चोरी कर फेसबुक पर चिपका दिया। जिसमें नीचे लिखा गया कि देशभक्त सैनिकों के साथ काश्मीर के मुसलमान किस प्रकार का अत्याचार कर रहे हैं। एक अन्य मामले में पाकिस्तान में बकरीद के मौके पर कुर्वानी के सीन को एक पाकिस्तानी वेबसाइट से चुराक कर फेसबुक पर चिपकाया व नीचे लिख दिया कि भारत में खुले आम गोहत्या हो रही है।  हद तो यह है कि एक विदेशी अंग्रेजी वेबसाइट ( http://www.documentingreality.com/forum/f10/burnt-death-jos-nigeria-82304/) पर नाइजीरिया में अक्टूबर 2009 में हुई हिंसा की एक खबर से फोटो को “आसाम” में हिंदुओं का नरसंहार बताकर फेसबुक पर लगाया जा रहा है। इस प्रकार के दुष्प्रचार में लीन अधिकांश लोग अपने आप को देश भक्त माटीपुत्र और न जाने किन किन नामों से पुकार रहे हैं।