कचरे के ढेर में आजादी ढूंढती गरीब की मासूमियत

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फर्रुखाबाद: भले ही भारत देश को आजाद हुए 65 साल गुजर चुके हों लेकिन गरीबों के बच्चे स्कूल जाने के बजाय आज भी कचरे के ढेर में रोजी रोटी की तलाश करते हर शहर व कस्बे में मिल जायेंगे। सरकार कागजों में सर्व शिक्षा अभियान पर करोड़ों खर्च किये जा रही है लेकिन जमीनी हकीकत में जिन गरीब बच्चों को पेट भर भोजन नसीब नहीं है वह स्कूल जाने की बात सोच भी भला कैसे सकते हैं। उन्हें तो सबसे पहले अपने पेट की आजादी को ही ढूंढना है। अब वह चाहे कूड़े कचरे के ढेर में मिले या कहीं होटल पर तस्तरी प्लेट धोकर। दो वक्त की रोटी का इंतजाम करने के बाद ही कुछ और सोच सकता है।

आज जहां पूरा देश आजाद भारत की 65 वीं वर्षगांठ की खुशियां मनाने में डूबा हुआ था। गली गली तिरंगा लहरा रहा था। स्कूलों कालेजों से लेकर सरकारी दफ्तरों में मिठाइयां बांटीं जा रहीं थीं। वहीं शहर के इन गरीब बच्चों को इस बात की शायद कतई भनक तक नहीं लगी कि आज 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस है। आज ही के दिन भारत देश आजाद हुआ था। उन्हें तो सिर्फ अपनी आजादी की ही चिंता सता रही है। सुबह होते ही इन गरीब बच्चों ने पेट की आग बुझाने की आश में फटी हुई बोरी लेकर सड़कों, कूड़े के ढेर इत्यादि की खाक छाननी शुरू कर दी। इन बच्चों ने शायद स्कूल और किताबों के बारे में कभी सोचा भी नहीं होगा। दो वक्त की रोटी की आश में यह बच्चे सुबह से शाम तक कबाड़ा बीनकर काम चला लेंगे। वहीं शिक्षण संस्थाओं में लाखों रुपये के मिष्ठान वितरित हो जायेंगे। प्रधानों व नगर पालिका के बजट से न जाने कितना बजट बूंदी इत्यादि में खर्च हो जायेगा। लेकिन इन मासूमों को इससे क्या? उन्हें तो बस कबाड़ा बीनकर ही पेट भरना पड़ेगा।

केन्द्र सरकार व प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं। 6 से 14 वर्ष तक की शिक्षा को निःशुल्क कर दिया गया है। स्कूलों में मिड डे मील की व्यवस्था की गयी है। किताबों से लेकर बैग तक मुफ्त में दिये जा रहे हैं। इतना ही नहीं सरकार द्वारा छात्रों को छात्रवृत्ति भी बोनस के तौर पर दी जा रही है लेकिन फिर भी न जाने कितने गरीब बच्चे इस शिक्षा से वंचित रोजी रोटी की तलाश में कबाड़ा बीनते फिर रहे हैं। आज तक सरकार के किसी विभाग की इस पर नजर नहीं पड़ी यह बात किसी को शायद नहीं पच सकती। क्योंकि प्रत्येक अधिकारी को यह भलीभांति मालूम है कि जब तक गरीब को भर पेट भोजन नहीं मिलेगा तब तक उसे स्कूल तक नहीं लाया जा सकता। अब इसे सरकार का फेलयोर कहें या भारत के गरीबों की बदनसीबी कि आज आजाद भारत को 65 साल गुजर गये लेकिन गरीबों के बच्चे स्कूल के गेट तक नहीं पहुंच सके। 15 अगस्त के शुभ अवसर पर इन गरीबों को यह नहीं मालूम कि आज कोई खास दिन है। उनके लिए हर वह  दिन खास है जिसमें उन्हें पेट भरने भर को कबाड़ा बीनकर रुपये कमा सकें।