कायमगंज (फर्रुखाबाद) : विकासखण्ड कायमगंज क्षेत्र के ग्राम रायपुर में टंकी का दूषित पानी पीने से बीमार हुए लगभग 300 लोगों में अब तक दो की मौत हो चुकी है। वहीं रायपुर के बाद अब पड़ोसी गांव प्रेम नगर में भी डायरिया ने अपने पैर पसारना शुरू कर दिये हैं। प्रेम नगर में बीती रात एक बच्ची की डायरिया से मौत हो गयी। वहीं प्रशासन ने ग्रामीण को तत्काल दवाई उपलब्ध कराने के लिए लगायी गयी टीम को शुक्रवार को हटा लिया। जिससे ग्रामीणों को दवाई इत्यादि में भारी परेशानी हो रही है।आस पास के इलाकों के कई ग्रामों के लोग डायरिया रोग से भयभीत बने हुए हैं।
रायपुर गांव से मात्र ढाई किमी पहले ही पड़ने वाले गांव प्रेमनगर में भी डायरिया ने अपने पैर फैलाना शुरू कर दिये। जिससे शुक्रवार को मासूम रोशनी की मौत हो गयी। इस मौत से क्षेत्रवासियों में डायरिया को लेकर भय बना हुआ है। ज्ञातव्य हो कि पांच दिनों में डायरिया रोग से तीन मौते हो चुकी हैं।
चिकित्सा विभाग जहां एक ओर सीना चौड़ा कर वड़े गर्व से कहता हुआ सुनाई देता है कि रायपुर गांव में डायरिया रोग पर नियंत्रण पा लिया है नतीजतन चिकित्सा विभाग पूरी तरह लापरवाह हो जाता है। जबकि हकीकत यह है कि रायपुर के वाशिंदे आज भी डायरिया रोग की पकड़ से पूरी तरह मुक्त नहीं हुए हैं। वे एक के बाद एक इस रोग के शिकार हो रहे हैं। चिकित्सा विभाग ने अपनी लापरवाही को अंजाम देते हुए गांव में रोगी होने के बाबजूद भी इनामुल हक शाह इण्टर कालेज में इन मरीजों का इलाज करने वाली टीम को भी गांव से बुला लिया। जिससे गांव वासियों में चिकित्सा विभाग को लेकर काफी रोष व्याप्त है। गांव वासियों ने सीएमओ डा0 राकेश कुमार से उचित इलाज की मांग की है।
डायरिया का दंश झेल रहे गांव रायपुर के वाशिंदे पांच दिन बीत जाने के बाद भी चैन की सांस नहीं ले पा रहे हैं। क्योंकि सरकारी अस्पताल के डाक्टरों की लाख प्रयासों के बाद भी जानलेवा डायरिया रोग पर नियंत्रण नहीं लगा पा रहा है। जिससे क्षेत्रवासियों में भय का वातावरण बना हुआ है।
रायपुर गांव में डायरिया के रोगियों की संख्या पांच दिन ब्यतीत होने के बाद भी कम होने का नाम नहीं ले रही है। हर किसी को यही डर सता रहा है कि इस रोग का अगला शिकार शायद वही होगा। कायमगंज के सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा की जा रही लापरवाही से रोगी खासे भयग्रस्त हैं। जिसके चलते उनका इस अस्पताल के डाक्टरों से विश्वास उठ चला है। नतीजतन लोग सरकारी अस्पताल न जाकर निजी चिकित्सकों के यहां इलाज कराना ज्यादा महफूज समझते हैं। इसी कारण सरकारी अस्पताल में डायरिया के रोगी इलाज के लिए भर्ती नहीं हो रहे हैं।