जन्माष्ठमी पर नार वाले खीरे का महत्व

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फर्रुखाबाद: जन्माष्ठमी पूरे देश में मनाने की तैयारियां जोरों पर हैं। जहां एक तरफ बाजारों में लड्डू गोपाल मूर्तियां, उनके पोषाक, विभिन्न डिजाइनों में बिक रहे हैं वहीं बाजार में नार वाले खीरे की खरीदारी भी विशेष तौर पर की जा रही है।

जन्माष्ठमी मनाने के लिए बाजारों में दुकानों पर खरीदारों की भारी भीड़ उमड़ रही है। मंदिरों को भी भव्य तरीके से सजाया गया है। जहां रात ठीक 12 बजे भगवान कृष्ण का जन्म होगा। इसके लिए लगभग लोगों ने सारी तैयारियां पूरी कर लीं। वहीं दोपहर बाद से खीरे की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ उमड़ी तो दुकानदारों ने एक रुपये वाला खीरा 30 से 35 रुपये में बेचना शुरू कर दिया। नार वाले खीरे का जन्माष्ठमी पर अपना एक विशेष महत्व है। मान्यता है कि खीरे को नवजात शिशु का रूप मानकर ठीक 12 बजे खीरे का नार काटा जाता है। जैसे प्रसव के बाद नवजात बच्चे का। ऐसा लोग यह मानकर करते हैं कि भगवान कृष्ण ने उनके यहां जन्म लिया है। कुछ लोग उस खीरे को प्रातः गंगा में प्रवाहित कर देते हैं। कुछ लोग उसी खीरे को काटकर प्रसाद बनाकर वितरित कर दिया जाता है।

शहर में आज खीरा दुकानदारों की जन्माष्ठमी धड़ल्ले से मनी। घुमना पर खीरा बेच रहा दुकानदार महेश व पल्ला बाजार में खीरा विक्रेता धर्मेन्द्र ने बताया कि खीरा इसलिए महंगा बेच रहे हैं क्योंकि खीरे को नार सहित लाने से पौधा खत्म हो जाता है। इस बजह से आमदनी को पूरा करने के लिए एक रुपये वाला खीरा 30 रुपये में बेचना पड़ता है। वहीं बाजारों में जन्माष्ठमी को देखते हुए चाइनीज झालरों व अन्य खिलौनों की विक्री के लिए दुकानदारों ने अपनी दुकानें सजा ली। वहीं जन्माष्ठमी पर कृष्ण भक्त महिला व पुरुषों ने आज से ही वृत रख लिया है। मंदिरों को भव्य तरीके से सजाया गया है।