फर्रुखाबाद: जिला पंचायत सभागार में शनिवार को हुई बैठक जहां एक ओर माननीयगण कानून और व्यवस्था की बात करते रहे, अधिकारी भी ईमानदारी और कानून की दुहाई देते रहे वहीं दूसरी तरफ उनकी ही आंखों के सामने मासूम बाल श्रमिक से काम लिया जाता रहा और किसी ने उसकी तरफ नजर तक नहीं डाली।
अपने-अपने प्रस्तावों को लेकर तीरंदाजी में जुटे नेतागण एक दूसरे के ऊपर आरोप प्रत्यारोप करते रहे। अध्यक्ष से लेकर मुख्य विकास अधिकारी, विकास अधिकारी के समस्त पदेन अधिकारियों की नजरों के सामने कानून टूटता रहा और जिसकी तरफ किसी ने ध्यान भी नहीं दिया। जहां एक ओर कानून तोड़ने वालों के खिलाफ कार्यवाही की गहमागहमी बनी रही। हर जनप्रतिनिधि अपने-अपने तरीके से बैठक में अपना वर्चस्व बनाने के लिए हर हथकंडा अपनाता नजर आ रहा था। किसकी झोली में कितना पैसा गया। किसने कितना भ्रष्टाचार किया। कौन बगैर पैसे लिये काम नहीं करता जैसे कई आरोप एक दूसरे पर लगाते रहे। वहीं एक मासूम बाल श्रमिक सभी माननीयों के टेबिल दर टेबिल शुल्पाहार पहुंचाता रहा। लेकिन किसी ने भी उसकी सुधि नहीं ली। जहां एक ओर प्रशासन बाल श्रमिकों को उनके कार्य से मुक्त कराने का झूठा कागजी ढकोसला बनाकर शासन की आंखों में धूल झोंकता रहता है वहीं दूसरी तरफ शहर में एक बाल श्रमिक तो छोड़िये। शहर का ऐसा कोई होटल व चाय की दुकान नहीं होगी जिस पर बाल श्रमिक आपको वर्तन धोते या मेजें साफ करते नजर नहीं आयें। आज बाल श्रमिक द्वारा जिला पंचायत की बैठक में शुल्पाहार वितरण के समय जो पोल शासन की खुली उसको तो यही कहा जायेगा कि चिराग के तले अंधेरा………