नई दिल्ली। कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने अन्ना हजारे पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया है कि सरकार के साथ अन्ना समझौते के लिए तैयार हो गए थे। अन्ना ने कहा था कि न वे कांग्रेस के खिलाफ हैं और न ही 25 जुलाई से अनशन करेंगे। ऐसे में सवाल ये है कि उन्होंने अपना वादा क्यों तोड़ा?
खुर्शीद ने एक पत्रिका में लेख लिखकर दावा किया है कि अन्ना ने बेवजह अनशन किया। 23 जून को उनकी और अन्ना हजारे की पुणे में एक मित्र के घर में जो मुलाकात हुई थी उसमें समझौता होना तय हो गया था। खुर्शीद ने लिखा है कि अन्ना ने कहा था कि वे कांग्रेस के खिलाफ नहीं हैं, और उन्होंने कभी भी महाराष्ट्र के कांग्रेस मंत्रियों की बर्खास्तगी की मांग नहीं की थी। उन्होंने मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण की तारीफ भी की थी और कहा था कि वो उनसे दोबारा मिलेंगे। अन्ना ने खुद कहा था कि उन्होंने देश भर का दौरा न करने और 25 जुलाई और 9 अगस्त से अनशन न करने का फैसला किया है।
खुर्शीद के मुताबिक उन्होंने अन्ना को बताया था कि संसद में लोकपाल बिल को लेकर जिन तीन बातों पर सहमति बनी थी, उस पर सरकार ने जरूरी कदम उठाए हैं। अन्ना ने इस पर संतोष जाहिर किया था। खुर्शीद के मुताबिक जब उन्होंने अन्ना के सहयोगियों के इरादों पर संदेह जताया तो अन्ना ने कहा था कि वे उनकी कमजोरियां जानते हैं, लेकिन चुप हैं क्योंकि आंदोलन कमजोर पड़ जाएगा। लेकिन अगर वे कोई बड़ी गलती करते हैं तो वे उन्हें छोड़ भी सकते हैं। अन्ना ने खासतौर पर कहा था कि किरन बेदी का उनपर पूरा भरोसा है और जस्टिस संतोष हेगड़े भी बहुत अच्छे और समझदार आदमी हैं। बाबा रामदेव ने उनके नाम का इस्तेमाल किया, लेकिन उन दोनों का एजेंडा अलग-अलग है।
खुर्शीद के मुताबिक इस मुलाकात के बाद सरकार ने एक चिट्ठी भेजी थी जिसमें अन्ना ने कुछ बदलाव का सुझाव दिया था और आखिर में जो चिट्ठी भेजी गई उसे अन्ना की सहमति हासिल थी। ऐसे में सवाल ये है कि अन्ना और सरकार के बीच जो सहमति बनी थी, वो कैसे टूट गई। अन्ना ने अनशन क्यों किया?
गौरतलब है कि अन्ना ने अनशन से कुछ दिन पहले आरोप लगाया था कि वे देशहित में खुर्शीद के साथ हुई मुलाकात को गोपनीय रखने को तैयार थे, लेकिन सरकार ने उसका खुलासा करके उनके आंदोलन को तोड़ने की कोशिश की। अब खुर्शीद ने मुलाकात के बारे में लेख लिखकर अपना पक्ष सामने रखा है जिससे हड़कंप मच गया है। खुर्शीद अभी कैमरे के सामने कुछ नहीं बोल रहे हैं लेकिन उनके सहयोगी टीम अन्ना पर निशाना साध रहे हैं।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने कहा कि अन्ना टीम के मुद्दे राजनीति से प्रेरित हैं। वो तो कब से राजनीति में आना चाहते थे। सांसदों को बुरा-भला कहते थे। हमको क्यों जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। ठीकरा कोई भी हमारे मत्थे नहीं फोड़ सकता। हर मुद्दे पर सरकार ने उनसे बात की है। पीएमओ से उनके पास चिट्ठी गई है। उनसे कितने मंत्रियों ने बैठकें कीं। ये सब इसलिए हुआ क्योंकि सरकार संवेदनशील है। अन्ना ने खुर्शीद के कथित खुलासे पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है।
बहरहाल, टीम अन्ना को राजनीति का स्वाद मिलना शुरू हो गया है। पहले ही कदम पर अन्ना हजारे जैसी हस्ती की सच्चाई को कठघरे में खड़ा कर दिया गया। अंदाजा ही लगाया जा सकता है कि टीम अन्ना को अभी कैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।