बाबा रामदेव और टीम अन्ना के बीच मतभेद खुलकर सामने आए

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योग गुरु बाबा रामदेव और टीम अन्ना के बीच एक फिर मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी आंदोलन को मजबूती देने जंतर-मंतर पहुंचे रामदेव टीम अन्ना की रणनीति से पूरी तरह से सहमत नजर नहीं आए।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद पर कटाक्ष नहीं करना चाहिए। उन्होंने यहां तक कहा कि वह किसी पर भी व्यक्तिगत टीका टिप्पणी के खिलाफ हैं। हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा कि वह अन्ना हजारे के आंदोलन को अपना समर्थन देते रहेंगे।

इस बार आंदोलन में लोगों की भीड़ नहीं जुटने से परेशान टीम अन्ना को शुक्रवार को उस समय बड़ी राहत मिली जब योग गुरु अपने 2000 समर्थकों के साथ जंतर-मंतर पर पहुंचे। अनशन स्थल पर सुबह सैकड़ों की संख्या में नजर आ रही भीड़ रामदेव के आते ही हजारों में बदल गई।

रामदेव ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रपति एक संवैधानिक पद है और किसी को भी इसकी आलोचना नहीं करनी चाहिए। हालांकि उनकी बातों से अन्ना हजारे भी सहमत दिखे। 25 जुलाई को टीम अन्ना के अहम सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि यदि लोकपाल होता तो प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति नहीं होते।

अन्ना हजारे को समर्थन देते हुए योग गुरु ने कहा कि जंतर-मंतर से शुरू हुआ आंदोलन रामलीला मैदान तक पहुंचते-पहुंचते अपने शिखर पर होगा। हमारी रणनीति अलग है, लेकिन रण एक है। लक्ष्य एक है। जंतर-मतर से आंदोलन का सिलसिला शुरू हो गया है। 9 अगस्त को पूरा हिंदुस्तान सड़कों पर होगा। दोनों आंदोलनों पर उठ रहे सवालों पर उन्होंने कहा, देश की 99 फीसदी ईमानदार जनता हमारे साथ है।

उन्होंने कहा कि देश को बचाने के लिए अन्ना और बाबा को आगे आना पड़ा है। आज अहिंसात्मक, वैचारिक व आध्यात्मिक क्रांतियां शुरू हो चुकी हैं। हमें अपने हक की लड़ाई खुद लड़नी पड़ेगी। इससे जन लोकपाल बिल पास होगा और काला धन भी वापस आएगा।