गोहाटी में लड़की से छेड़छाड़- मीडिया और महिला आयोग दोनों पर उठे सवाल

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जरा इन तस्वीरों पर एर नज़र डालें…

ये दो तस्वीरें एक ही किताब के दो पन्नों जैसी हैं… दोनों असम की राजधानी गुवाहाटी में हुए एक शर्मनाक हादसे से जुड़ी हई। इन तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि एक युवती की आबरू कैसे मीडिया की शह पर सरेराह उछाली जा रही है और कैसे उसकी जांच के बहाने सैर-सपाटा हो रहा है?

युवती को पकड़ कर कैमरे के सामने উसे ‘बेनक़ाब’ करती हुई भीड़.. क्या यह सबकुछ बिना कैमरामैन की सहमति के संभव है?

पहली तस्वीर यूट्यूब पर मौज़ूद वीडियो से ली गई है। इसमें साफ देखा जा सकता है कि कैसे पूरी भीड़ एक युवती को मीडिया के कैमरे के सामने ‘एक्सपोज’ करने में जुटी है। वीडियो में देखा जा सकता है कि भीड़ में मौज़ूद लोग युवती से छेड़छाड़ करने में कम और उसे कैमरे के सामने लाने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं। कैमरे में लाइट भी लगा है जो बार-बार युवती के चेहरे पर चमकता है।

इसका सीधा मतलब है कि कैमरामैन महोदय उस युवती को बेनक़ाब करने के ज़्यादा इच्छुक थे न कि उसे बचाने के, जैसा कि उसके टीवी चैनल के संपादक महोदय का दावा है। इतना ही नहीं, इस एडिटेड वीडियो की मूल कॉपी देख कर असम के मुख्यमंत्री गोगोई साहब ने तो ये भी कहा है कि उसमें कैमरामैन अपने सहयोगी से इस ‘इवेंट’ को ‘मैनेज’ करने का दावा कर रहा है।

गुवाहाटी एयरपोर्ट पर तस्वीरें खिंचवाती राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य जिनमें वानसुक सिएम और अलका लांबा को टोपी पहन कर पोज़ देते देखा जा सकता है।

वीडियो में एक बार की भी तस्वीरें हैं और वहां म्युज़िक पर थिरकते कुछ लोगों को भी दिखाया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ये युवती वहां किसी पार्टी में शरीक़ होने आई थी और बाहर निकल कर नैतिकता के कथित ठेकेदारों के हाथों में फंस गई। चैनल ने भी इसे नैतिकता से जुड़ी रिपोर्ट बनाने के लिहाज़ से ही शूट करवाया था और अब अचानक युवती के हितैषी होने का दावा करने लगा।

अब जरा इसी बेदर्द मीडिया के जरिए उस युवती के दर्द में हमदर्द बनने का दावा कर रही राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम की भी असलियत देख लीजिए। दूसरी तस्वीर आयोग के उन सदस्यों की है जो हादसे के पांच दिनों बाद ‘फौरन’ हवाई जहाज़ से गुवाहाटी पहुंची थी। असम की पारंपरिक टोपी पहन कर और हंसी-ठट्ठा करती ये सदस्य एयरपोर्ट पर जिस अंदाज़ में तस्वीरें खिंचवा रही थीं उससे इनकी गंभीरता का अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है।

 

बाद में ये सदस्य उस युवती से भी मिलने गईँ और उसके समर्थन में कुछ बयानबाजियां भी हुईं, लेकिन पक्षपात के घेरे में आ रही मीडिया के लिए एयरपोर्ट की तस्वीरें, लोगों का ध्यान अपने उपर से हटा कर महिला आयोग पर डालने का बेहतरीन मौक़ा दे गईं। दोनों तस्वीरें देख कर भोजपुरी-ब्रज की एक कहावत याद आ जाती है… “ना उधो सराहे लायक़ और ना माधो दूसे लायक़।” (न तो उधो सराहना  करने के काबिल हैं और न माधो निंदा करने लायक़)

यूट्यूब पर इस वीडियो को ‘अन-कट वर्ज़न’ बताया गया है और अब तक इसे दो लाख अस्सी हज़ार से भी ज्यादा लोग देख चुके हैं। जरा आप भी देखिए और बताइए कि कौन कितना पाक-साफ़ नज़र आ रहा है?