फर्रुखाबाद: बीते दिन हुई नगर निकाय चुनाव की मतगणना के दौरान पूरे दिन कुछ न कुछ अलग थलग ही नजर आया। पुलिस की चाक चौबंद व्यवस्था थी। लेकिन जब एक फौजी पुलिस के चक्रव्यूह को तोड़ने का प्रयास करने लगा तो पुलिस के रोकने पर फौजी ने जो किया वह मतगणना स्थल के बाहर मौजूद सैकड़ों लोगों ने देखा। लोग समझ नहीं पाये कि आखिर हुआ क्या। एक तरफ फौजी ने दरोगा को हड़काया वहीं खड़े एक पीएसी जवान के पैर छूकर उसे अपने गले लगा लिया।
वाकया शनिवार को तकरीबन दो बजे का है जब पुलिस द्वारा डी एन डिग्री कालेज के दोनो तरफ लगाये गये बैरियर पर पुलिस मुस्तैदी से तैनात थी। एक तरफ कर्नलगंज चौकी इंचार्ज नासिर हुसैन मौजूद थे व दूसरे बैरियर पर सेन्ट्रल जेल चौकी इंचार्ज संतोष कुमार भारद्धाज व तिकोना चौकी इंचार्ज श्रीकृष्ण ड्यूटी पर थे। कई पीएसी के जवान व पुलिस किसी भी अनावश्यक व्यक्ति को बैरियर के अंदर प्रवेश करने से रोक नहीं पायी। तभी अचानक फौजी की बर्दी में हैट लगाये एक जवान अपनी बाइक पर सवार होकर एक व्यक्ति को पीछे बैठाकर बैरियर की तरफ बढ़ा तो सेन्ट्रल जेल चौकी इंचार्ज ने उसे रोक दिया। गाड़ी पीछे ले जाने की बात कही। इसमें कोई गलत भी नहीं था। कानून सबके लिए है। चाहे वह फौजी हो या आम आदमी। इतना सुनते ही फौजी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और वह सेन्ट्रल जेल चौकी इंचार्ज संतोष भारद्धाज पर जमकर बरस पड़ा। फौजी ने कहा कि वह पुलिस से नहीं डरता। तुम लोग चेयरमैनों को चुनाव लड़ाते हैं और हम तो सीधा राष्ट्रपति को लड़ाते हैं। काफी कहासुनी के बाद फौजी ने विवाद जब ज्यादा बढ़ा दिया तो फौजी मोटरसाइकिल से उतर गया। गाड़ी साइड में लगाकर वह फतेहगढ़ कोतवाल रूम सिंह यादव की तरफ लपका ही था कि उसकी नजर पास में खड़े एक पीएसी जवान पर पड़ी तो उस गदर काट रहे फौजी ने लपक कर पीएसी जवान के पैर छुए। जिसे देखकर आस पास खड़े लोग दंग रह गये। पैर छूकर फौजी ने उसे भाई कहकर गले लगा लिया। पीएसी जवान खुद नहीं समझ पा रहा था कि आखिर माजरा क्या है। लेकिन जब फौजी ने उसे एक ही गांव के निवासी होने की बात बतायी तो जवान ने पहचान लिया। यह नजारा देखकर सेन्ट्रल जेल चौकी इंचार्ज भी चौंक गये। तभी पीएसी जवान बोला भाई बैरियर के अंदर किसी को जाने की इजाजत नहीं है। इसके लिए साहब से बात कर लो।
इस पर फौजी लपक कर फतेहगढ़ कोतवाल रूम सिंह यादव के पास पहुंचा और पूरी ताकत से जमीन पर पैर पटकते हुए सल्यूट दी। खट की आवाज सुनते ही अचानक कोतवाल चौंककर फौजी की तरफ मुड़े तो फौजी ने पूरी बात कोतवाल को बतायी। जिस पर कोतवाल ने फौजी को जाने की इजाजत दे दी।