सरकारी धन की लूट: स्कूल शौचायलयों पर टंकी रखने का घोटाला फिर शुरू

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सरकारी स्कूलों के शौचलयों के ऊपर पानी की टंकी रखने का एक बड़ा घोटाला हुए कुछ अधिक समय नहीं हुआ है। लगभग दो वर्ष पूर्व तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी आरएसपी त्रिपाठी ने फर्जी टंकियों के नाम पर लाखों रुपये का बंदरबांट कर लिया था। इसी आड़ में तत्कालीन डीपीआरओ ने भी हाथ धो लिये थे। बाद में मीडिया में खबरें आने के बाद जिलाधिकारी के आदेश पर जिलाविकास अधिकारी अशोंक कुमार सिंह चंद्रौल ने जांच की तो उसमें सच सामने आ गया। शिक्षा विभाग ने विद्यालयों की जो सूची उपलब्ध करायी उसमें कई स्कूल तो एसे थे जो वास्तव में कभी बने ही नहीं। डीपीआरओ ने तो अंत तक सूची ही उपलब्ध नहीं करायी।

टंकी घोटाला एक बार फिर शुरू हो गया है। जनपद के अनेक स्कूलों में पानी की टंकिया रखकर 10 से 12 हजार रुपये प्रति की दर से भुगतान निकाला जा रहा है। मजे की बात है कि किसी को नहीं मालूम कि यह किसके आदेश से लग रही हैं। न कही कोई टेंडर हुआ न कोई विज्ञापन। टंकियां लगने के बारे में आधिकारिक रूप से पूछे जाने पर न बीएसए भगवत पटेल को पता है और न डीपीआरओ रामजियावन को। परंतु प्रधानों पर दवाव डाल कर भुगतान निकाला जा रहा है। जिला मुख्यालय के विकास खंड के एक ग्राम देवरामपुर के प्राथमिक विद्यालय में लगी ऐसी ही टंकी के विषय में हमने छानबीन की तो। निहायत घटिया किस्म की एक बिना ढक्क्न की टंकी एक निष्प्रयोज्य शौचालय की छत पर रखी नजर आयी। मजे की बात है कि इसका कनेक्शन जिस हैंडपंप से किया गया था वह भी वर्षों से बेकार पड़ा लग रहा था। यह तो बात हुई गुणवत्ता व उपयोगिता की। अब जब हमने इसके वित्तीय पहलू पर खोज बीन की तो ग्राम प्रधान से लेकर ग्राम पंचायत अधिकारी तक पल्ला झाड़ते नजर आये। प्रधान शैलेंद्र कुमार ने पहले तो झोंक में लगभग 12 हजार रुपये के भुगतान की बात स्वीकार की परंतु जैसे ही उसे बताया कि हम मीडिया से हैं तो वह अपने बयान से ही मुकर गया। बोला अभी भुगतान नहीं हुआ है। पूछा आदेश किसका है तो बताया कि डीपीआरओ कार्यालय के आदेश हैं। ग्राम पंचायत अधिकारी नीलू दीक्षित से पूछा तो बोलीं कि अरे यह तो सभी ग्राम पंचायतों में लग रहे हैं, आप केवल हमारी ग्राम पंचायत के ही पीछे क्यों पड़े हैं।

इस संबंध में मुख्य विकास अधिकारी को भी कोई जानकारी नहीं है। उनहोने भी विवरण नोट करने के बाद बताया कि मामले को दिखवाया जायेगा।

उल्लेखनीय है कि जिस कंपनी की टंकी लगाई गयी है उसकी बाजार में कीमत मात्र दो हजार रुपये है। इसकी फिटिंग में जो पाइप लगा है उसका मूल्य 35 रुपये फिट की दर से अधिकतम 700 रुपये होगा। फिटिंग की मजदूरी भी जोड़ लें तो कुल लागत मुश्किल से दो से ढ़ाई हजार रुपये आती है। इसके लिये ग्राम पंचायत से 10 से 12 हजार रुपये निकाल कर सरकारी या यूं कहें कि जनता के धन की खुली लूट की जा रही है, व अधिकारी या तो इस खेल में शामिल हैं या खामोशी से तमाशा देख रहे हैं।

आइये आपकों 23 अगस्त 2010 को छपी पुरानी खबर के संदर्भ से याद दिलाते हैं….

“आयुक्त कानपुर मंडल अमितकुमार घोष के आदेश पर विद्यालयों के शौचालयों में ओवरहेड टैंक स्थापना में घोटाले की जांच शुरू हो गई है। जांच की भनक लगते ही बीएसए ने भी ओवरहेड टैंकों का सत्यापन सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से कराना शुरू कर दिया है। कई स्थानों पर प्रधानाध्यापकों पर मनमानी रिपोर्ट देने के लिए दबाव बनाने की शिकायतें भी मिल रही हैं परंतु अध्यापक अभी मुंह नहीं खोल रहे हैं। सत्यापन के लिए एबीएसए को उपलब्ध करायी गईं सूचियों के पंचायत विभाग की सूची से मिलान करने पर चौंकानेवाले तथ्य सामने आ रहे हैं। सत्यापन के दौरान यह भी प्रकाश में आया है कि बेसिक शिक्षा विभाग ने उन्हीं टंकियों को अपना बताकर भुगतान कर दिया, जिनको पंचायत विभाग लगा चुका था। कई स्कूल तो ऐसे हैं, जहां आज तक कोई ओवरहेड टैंक लगे ही नहीं। मजे की बात है कि बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से जारी सूची में बढ़पुर के तथाकी मढ़ैया व उमायतपुरवा और राजेपुर के भरेपुर सहित कई काल्पनिक विद्यालय तो ऐसे भी हैं, जिनका अस्तित्व ही नहीं है। अकेले ब्लॉक कमालगंज के प्राथमिक विद्यालय उगरपुर सुल्तान पट्टी, कतरौली पट्टी, फतेहपुर कायस्थान, रशीदपुर, गदनपुर आमिल व जूनियर खुदागंज ऐसे स्कूल हैं जो पंचायत की सूची में भी शामिल हैं।

विकासखंड बढ़पुर के याकूतगंज में प्राथमिक विद्यालय में तो ओवरहेड टैंक लगा ही नहीं है। कन्या प्राथमिक विद्यालय याकूतगंज में शौचालय के ऊपर केवल टंकी रखी है, उसमें कनेक्शन नहीं है। मजे की बात है कि प्रधानाध्यापक इसे पंचायत से लगा होने की रिपोर्ट दे चुके हैं। ग्रामीण सुरजीत यादव व जितेंद्र सिंह भी यही बताते हैं। विकास खंड बढ़पुर के ही कन्या प्राथमिक विद्यालय, अदिउली व ढिलावल के प्रधानाचार्य भी ओवर हेड टैंक न लगे होने की रिपोर्ट दे चुके हैं, जबकि सूची में यह सभी विद्यालय शामिल हैं।”