अंतिम दिन- वत्सला फर्रुखाबाद में तो मनोज फतेहगढ़ में वोट पक्के करने में लगे

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फर्रुखाबाद: कानूनी तौर पर चुनाव प्रचार बंद होने में अब 5 घंटे ही बचे है| ऐसे में नेता हर वोटर तक पहुच लेना चाहता है| फर्रुखाबाद का इतिहास गवाह है कि इस प्रकार का सघन जनसम्पर्क उसने पहले कभी न देखा होगा| ये मतदाता की बढ़ती जागरूकता की निशानी और नेता का जनता से उठता विश्वास| यही कारण है कि नेता को घर घर वोट पटाना पड़ रहा है| शनिवार की रात से शुरू हुई उमस शुक्रवार को भी जारी है| गर्मी का पारा कुछ कम होकर 35 पर अटका है मगर आद्रता 66 तक पहुच चुकी है| मौसम की चिपचिपाहट के साथ मतदाता भी चिडचिडा हो गया है| अब उसे मुस्करा कर, पैर छूकर, पिछली गलतियो से माफ़ी मांग कर पटाने का अंतिम दौर है| यही भाग्य विधाता है| अलके 5 साल की कहानी 40 घंटे बाद लिखने लगेगा| नेता के हाथ में कुछ भी न रह जायेगा| जनता पुरोहित होगी और नेता यजमान| गिनती के बाद पासा पलट जायेगा जनता याचक होगी और नेता श्रीमान|

शुक्रवार सुबह सुबह वत्सला अग्रवाल अपना चकला बेलन ले अंगूरी बाग़ पहुची| अब हाथ में प्रचार नहीं बैलट पेपर का नमूना है जो पचास हजार छप कर आया है| घर घर पहुचना है| देर रात करो पर बण्डल बसपा के कैडर के पास पहुचाये गए है| उन्हें जिम्मेदारी दी गयी है कि इन्हें मतदाताओ के घर पहुचाये और बताये कि मुहर कहाँ लगानी है| वत्सला अन्गूरिबाग से निपट जत्वारा जदीद में पहुची और फिर सुतहट्टी बाजार की ओर रुख किया है| वे अभी बाजार में है और उनकी खबर इस पोर्टल पर प्रकाशित हो रही है| पढ़ने वाला सजीव चित्रण का मजा ले रहा है| फतेहगढ़ में मनोज बनखाडिया में पहुचे है| साथ में बसपा का बड़ा कुनवा है जो निश्चित रूप से दलित वोट भले ही इकठ्ठा करे किन्तु बसपा से नाराज ब्राहमण जिसने मायावती की सरकार उखाड़ फेकने में बड़ी भूमिका निभाई निर्याणक थी| एक बार फिर बसपा को पसंद न करने की कगार पर है| बसपा की नीली टोपी ब्राहमण झेल पाए ये बहुत आसान नहीं लगता| फिलहाल आप चित्रों से सोचिये-