खबरीलाल देर रात तक गलियों, मोहल्लों की खाक छानकर लोहाई रोड होते हुए घर जा रहे थे। इसे संयोग कहें या संदेश वाहक की मुस्तैदी। जैसे ही खबरीलाल बसपा एम.एल.सी. और निवर्तमान अध्यक्ष मनोज अग्रवाल के घर से लगभग पचास कदम आगे बढ़े होंगे। वैसे ही बसपा के दिग्गज नेताओं से चुनावी रणनीति बनाकर उन्हें विदा देने के लिए मनोज और वत्सला कार्यालय से बाहर आए। मनोज देखते ही बोले भैया खबरीलाल आपसे बात करने को तरस गए। आप इतने व्यस्त हैं कि हमारी तरफ नजर नहीं करते। वत्सला आखिर वत्सला ठहरीं। हल्की मुस्कान के साथ दोनो हाथ जोड़े चुपचाप खड़ी थीं। खबरीलाल ने बहुत टालने की कोशिश की परन्तु खबरीलाल को मनोज ने छोड़ा नहीं। बोले या तो आप हमारे कार्यालय चलिए या घर चलिए। आज हम बिना बात किए आपको छोड़ेंगे नहीं। अगर घर या कार्यालय से परहेज हो तब फिर हम आपके साथ आपके घर चलते हैं। रास्ते में बातें हो जाएंगी। दूसरी बात पर खबरीलाल कुछ कसमसाने के बाद मान गए।
मनोज अपने बसपाई साथियों को रवाना कर चुके थे। देर रात बांकी लोग भी जाना चाहते थे। मनोज ने सबको विदा किया। ड्रायवर, शैडो को इस निर्देश के साथ कार्यालय में ही रुकने को कहा कि जब और जहां के लिए टेलीफोन आए वहीं गाड़ी लेकर पहुंच जायें।
मनोज और खबरीलाल बात करते-करते गुरुद्वारे से आगे आ गए। मनोज बोले भैया खबरीलाल बताइए आप हमसे क्यों नाराज हैं। खबरीलाल ने पलट कर सवाल किया। नाराज कौन होता है जो प्यार करता है। पिछली बार तुम्हें इस शहर की जनता ने दस साल की लूट खसोट, भ्रष्टाचार, मनमानी से दुखी होकर परिवर्तन की उम्मीद में वोट देकर नगर पालिका अध्यक्ष बनाया था। तुमने नगर पालिका को सुधारने और विकास के रास्ते पर ले जाने के स्थान पर नगर पिता के साथ ही नगर विधायक बनने की कवायद शुरू कर दी। बढ़े हुए क्षेत्र के बाद भी आपको अध्यक्षी के चुनाव में भी कम वोट मिले। आप फिर भी नहीं चेते। जनता चाहती थी कि आप अस्व्यस्त, लुटे पिटे शहर को सुधारें। परन्तु आप को विधान परिषद पहुंचने की जल्दी थी। तुमने ईंटों का व्यापार कमीशन लेनदेन ठेकेदारी और नगर पालिका के संचालन का काम उन्हीं लोगों को सौंप दिया जो पिछले दस साल से यही कार्य करते आ रहे थे। खबरीलाल बोले इनमें कितने लोग इस समय तुम्हारे साथ हैं। यह तुम जानो।
खबरीलाल बोले मनोज बाबू हम चुनाव के मौके पर यह बातें जनता को याद नहीं दिलाते। यह काम जनता को राह दिखाने का, जागरूक करने का काम मीडिया का है। परन्तु मीडिया पेड न्यूज और विज्ञापन के चक्कर में अपने कर्तव्य से विमुख हो गया है। आप अच्छे समाजसेवी के साथ अच्छे विज्ञापनदाता भी हैं। ऐसी स्थिति में आपकी कमियों की जिनकी आज जन साधारण में चर्चा मीडिया में कोई चर्चा नहीं करेगा। खबरीलाल बोले जा रहे थे और मनोज चुपचाप सुनते जा रहे थे।
खबरीलाल नखास पुलिस चौकी के बगल वाली गली में घुसते घुसते रुके और मनोज का हाथ अपने हाथ में लेकर बोले। सच-सच बताना एम.एल.सी. के चुनाव में कितना पैसा खर्च किया। मनोज चुप थे। खबरीलाल बोले हम जानते हैं कि तुम नहीं बताओगे। परन्तु जनता को मालूम है। तुम्हारी बेनामी सम्पत्तियों और बेनामी व्यापार का ब्यौरा भी लोगों को मालूम है। किसी चैनल पर तुम्हारे नाम की चर्चा टापटेन में भी है।
खबरीलाल बोले लोग राजनीति में अच्छे लोगों के आने और सफल होने की उम्मीद करते हैं। इतना पैसा खर्च करके बार-बार चुनाव लड़ोगे। तब फिर कौन मानेगा कि प्रत्याशी ईमानदार है। व्यापार की रोकड़ से चुनाव लड़ रहा है। खबरीलाल बोले हम यह भी नहीं कहते कि और जो लोग चुनाव मैदान में हैं वह सब दूध के धुले हैं या मुहं में सोना डाले हैं। बड़े-बड़े गुरू घंटाल हैं इनमें। परन्तु तुममें लोग विकास की संभावनायें देख रहे हैं। इसलिए हमने यह बात तुमसे कही। मनोज खबरीलाल की दो टूक बातों से अभिभूत हो गए। उनका गला भर आया। बोले हम आपकी किसी बात पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। सही बायत यह है कि हमें बिना संघर्ष के स्वर्गीय पिता श्री, मामा श्री उनके परिवार बच्चों, इष्ट मित्रों, सभी सहयोगियों के समर्थन और सहयोग से चेयर मैनी की कुर्सी मिली।
अब सुनने की बारी खबरीलाल की थी। मनोज बोले इतनी बड़ी कुर्सी पर बैठते ही हमें यह लगने लगा कि दुनिया हमारी मुट्ठी में है। सब हमारी सुनते थे। सर हिलाते थे। हां में हां मिलाते थे। फर्रुखाबाद की जनता ने हमें सर आंखों पर बिठाकर इतना बड़ा करिश्मा किया था, कि बड़े-बड़े तीसमारखां सकते में थे। विधानसभा चुनाव आ गए। लोगों ने हमारा दिमाग खराब किया। खबरीलाल जो हम स्वीकार करते हैं हमारा दिमाग खराब हो गया। रही बात एम.एल.सी. चुनाव की। खबरीलाल जी आप माने या न माने यह चुनाव हमारे ऊपर थोपा गया। हम स्वीकार करते हैं इस चुनाव को जीतने के लिए हमने वह सब काम किए जो किए बिना इस प्रकार के चुनाव नहीं जीते जा सकते। मनोज बोले हम कोई सफाई नहीं देंगे। इतने खर्चीले चुनाव लड़कर यदि कोई ईमानदार रहने की बात करता है, तब वह झूठ और मक्कारी के अलावा कुछ भी नहीं है। मनोज बोले डिटेल में नहीं जायेंगे परन्तु खबरीलाल जी वास्तविकता तो यह है कि वर्तमान तंत्र और शासन प्रशासन के खेल ईमानदारी से काम करने ही नहीं देते।
मनोज की बेबाक बातों ने खबरीलाल को बाग-बाग कर दिया। बोले वर्तमान चुनाव में तुम्हारी यह बातें तुम्हारी सफलता का कारण बन सकती हैं। अगर तुम नगर की जनता को यह भरोसा दिला सको कि जो गलतियां मनोज अग्रवाल ने की हैं। वत्सला अग्रवाल चुनाव जीतने के बाद यह गलती नहीं करेंगी। अब तुमने पूछा हमने बता दिया। तुम्हें क्या करना है यह तुम जानो तुम्हारा काम जाने। अब टेलीफोन करो अपनी गाड़ी मंगाओ और घर जाओ। हमें अपने घर जाने दो। सवेरा होने को है। हम तुम्हें चाय पीने के लिए रुकने को भी नहीं कहेंगे। मनोज की गाड़ी आ गई थी। खबरीलाल से बड़ी आत्मीयता के साथ गले मिलकर मनोज भोर वाली बगिया से अपने घर की आरे चले।
सतीश दीक्षित
एडवोकेट