नगरपालिका की वजह से जनता करती है 8 करोड़ की बिजली बर्बाद, हर घर में टूटता है कानून

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फर्रुखाबाद: क्या आप जानते हैं कि नगरपालिका की वजह से हर घर में कानून टूट रहा है| आपके घर में जो पानी का मोटरपम्प (बूस्टर) पाइप लाइन में लगा है नगर पालिका के अधिनियम के अनुसार ये अवैध है और आप पर जुरमाना होना चाहिए| मगर न तो नगरपालिका में जुरमाना करने की हिम्मत है और न ही उसके बिना काम चल सकता है| आमतौर पर नगरपालिका क्षेत्र के लगभग हर घर में ये मोटर (बूस्टर) लगा है और हर रोज वैध/अवैध रूप से तीस हजार किलोवाट प्रति घंटे की दर से बिजली खपत कर रहा है जिसकी कीमत लगभग 1.2 लाख रुपये प्रति घटे होती है| एक अनुमान के मुताबिक 8 से 10 करोड़ रुपये की बिजली सालाना केवल घरो में पानी खीचने में खर्च हो जाती है जिसकी जिम्मेदार केवल और केवल नगरपालिका है| क्यूंकि जनता को पानी मुहैया करना इसकी जिम्मेदारी है| और जो जो नगरपालिका की अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे वे भी इस समस्या को हल न कर पाने के लिए बराबर के जिम्मेदार है|

आपके घर में ज्यादा से ज्यादा सी ऍफ़ एल लगी होगी| जो बहुत बिजली खर्च नहीं करती| यदि आप ईमानदारी से बिजली चलाते हैं तो आपके घर का बिजली का बिल आपके घर में लगा पानी का मोटर पम्प बढाता है| पानी आने से पहले चालू हो जाता है और कई घंटे तक चलता है| ये आवश्यक जरुरत है जिसे बंद भी नहीं जा सकता| जरा सोचिये अगर नगरपालिका का पानी आपकी छत पर लगी टंकी तक पहुचता तो ये बिजली बच सकती है| 30 साल पहले इसी शहर में पानी उपरी मंजिल तक पहुचता था| मगर अब नहीं| आखिर क्यूँ? नगर में लगभग 30 हजार मोटर पम्प (बूस्टर) लगे है| हर गली में मिल जायेगा| 500 वाट से 1 किलोवाट का| सुबह से शाम तक औसतन 3 से 4 घंटे तो चलता ही है| बहुत बड़ा गणित नहीं है इसका मगर सवाल और बर्बादी बहुत बड़ी है| इतना पैसा बर्बाद होता है| ये आपकी और हमारी जेब से जाता है| बजट खराब हुआ तो घर का मालिक अवैध कमाई का जरिया ढूँढता है| जड़ में जाइए और सोचिये!

ये बर्बादी बच सकती है| आपके घर में रौशनी के लिए अत्रिरिक्त बिजली भी बच सकती थी अगर पालिका पानी की टंकियो से पानी दे पाती| नगर में फैली अवव्यवस्था पर किसी जन पर्तिनिधि ने काम नहीं किया| क्या एम पी क्या एम्एलए निधिया कमीशन में बेच दी होंगी मगर नगर में जल व्यवस्था सुधर के लिए किसी भी योजना को नहीं सोचा या बनाया| आपके जेब का पैसा नगरपालिका की वजह से बर्बाद होता रहा है| जरा सोचिये जे एन आई के साथ—