फर्रुखाबाद: सुर्रा सुर्रियो के दौर के बाद अब खुल कर खेलने का वक़्त आ गया है| एक सप्ताह पहले कभी मुज्जफर रहमानी के घर तो कभी हाजी अहमद के ड्राइंग रूम में सलमा के चुनाव की चर्चा करने वाले ठेकेदार उमर खान और युनुस अंसारी आज मनोज अग्रवाल के दीवानखाने में नजर आये| मौका था बसपा के जोनल कोर्डिनेटर सतीश जाटव और नौशाद की कार्यकर्ता मीटिंग का|
मैडम ने हाथी और झंडा नहीं दिया मगर अपने वर्कर खुले छोड़ दिए, चाहे जहाँ रहो, जो चाहे सो करो| बस परदे के पीछे से लगे रहो| जीते तो बसपाई और हारे तो हमने लड़ाया ही कब था| खैर ये बसपा की राष्ट्रीय नीति है, निकाय चुनाव में हर जगह लागू रही| फर्रुखाबाद भी इससे अछूता नहीं रहा| खबर ये भी है इस बहाने मायावती ने अपने कैडर के पदाधिकारियो को कुछ अलग हट के करने का भी मौका दिया है| स्वतंत्र होकर सोचने का भी और कुछ कमाने का भी| प्रदेश के कई जिलों से खबरे है कि बसपा का समर्थन बिक रहा है| बस इस बार ये निर्णय करने का हक़ निचले पदाधिकारियो को मिला है| हाई कमान से अनुमोदन की जरुरत नहीं पड़ेगी| फिलहाल फर्रुखाबाद में ऐसे कोई खबर अभी नहीं मिली है|
बुधवार दोपहर लोहाई रोड स्थित मनोज अग्रवाल के चुनावी दफ्तर में बसपा के कार्यकर्ताओ की बैठक हुई| बैठक ली बसपा के मंडल पदाधिकारियो ने| बैठक में मजूद एक एक कार्यकर्ता को जिम्मेदारी सौपी गयी कि मनोज अग्रवाल की पत्नी वत्सला अग्रवाल को नगर पालिका अध्यक्ष पद पर बैठना है| जीत बसपा की होनी चाहिए| सपा समर्थित प्रत्याशी जीत गया तो फिर गुंडई हावी हुई समझो| बैठक में मनोज अग्रवाल ने सर्व समाज की सेवा करने के लिए एक और मौका देने की बात कही| बिना किसी भेदभाव के विकास कार्य कराया जायेगा ये वादा भी किया| मगर भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के मुद्दे पर किसी की जुबान नहीं खुली|