देखो कैसे नो कमीशन नो वर्क पर चलती रही नगरपालिका

Uncategorized

फर्रुखाबाद: नगरपालिका के विकास की बात करने वालो से अगला बड़ा सवाल ये है कि क्या नगरपालिका में ऐसा कोई काम नहीं जिसमे कमीशन न चला हो| क्या दयमंती सिंह का कार्यकाल और क्या मनोज अग्रवाल का कार्यकाल| पिछले 15 सालो में नगरपालिका में सैकड़ो की संख्या में ट्रेक्टर, लोडर, जेसीबी मशीन, डम्पर (छोटे ट्रक) सार्वजनिक काम के लिए खरीदे गए मगर किसी भी वाहन का पंजीकरण नहीं कराया गया| जब जिले के सबसे बड़े अधिकारी “जिलाधिकारी” सबसे बड़े जिला न्यायाधीश और यहाँ तक कि फ़ौज की हर गाड़ी पंजीकरण के बाद सड़क पर उतरती है तो नगरपालिका फर्रुखाबाद को कौन सा “खून माफ़” का विशेष अधिकार मिला है| सवाल ये है कि कानून तोड़ने वाले इन अधिकारिओ, कर्मचारियो अध्यक्षों की सजा क्या होनी चाहिए? इन्हें छूट क्यूँ? कहीं इस खेल में भी घोटाला तो नहीं- पंजीकरण का पैसा आहरित हो गया हो और परिवहन विभाग तक पैसा ही न पंहुचा हो|

वैसे इस बात पर पूरी जनता सहमत होगी दो लोगो को छोड़ कर जिन पर ये आरोप है कि उन्होंने इस काम में कमीशन की जुगाड़ न होने के कारण नगरपालिका के वाहनों का पंजीकरण नहीं कराया| जिन वाहनों को खरीदने के लिए करोडो खर्च हुए उसमे चंद लाख खर्च करके वाहनों का पंजीकरण कराया जा सकता था| बशर्ते नियत साफ़ होती| जाहिर है वाहनों की खरीद फरोख्त में तो सप्लायर कमीशन दे सकता था पंजीकरण में चूँकि लिखा पढ़ी की फीस होती है वो भी उत्तर प्रदेश सरकार की जिसकी रसीद बढ़ा कर नहीं काटी जा सकती लिहाजा दोनों अध्यक्षों ने कोई पंजीकरण नहीं कराया| अगर कहीं पजीकरण में भी कुटेशन और टेंडर की गुंजाइश होती तो तय मानिये पंजीकरण जरुर होते|

दोष केवल अध्यक्षों का नहीं है असल जिम्मेदार तो नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी हैं मगर अध्यक्षों के कार्यकाल में अधिशासी अधिकारी की हैसियत ही क्या| ये अधिशासी अधिकारी अध्यक्षों के कमीशन के बचे टुकडो को निहार कार्यकाल जो काटते है, क्या नियम और क्या गैर नियम| इसका एक और सबूत अगली स्टोरी में पढ़िएगा- ” करोडो के कमीशन के तले दबी काशीराम कालोनी की सुविधाए, हैण्डओवर फ़ाइल चौक से टाउन हाल के बीच लापता|

खैर इस खबर पर क्या अध्यक्ष का वर्जन और क्या अधिशासी अधिकारी का| हाँ इसका जबाब जरुर पुलिस और प्रशासन के पास होगा कि इन वाहनों को जनहित के शब्द के कारण सीज नहीं किया जाता| इतना ही जनहित है तो किसी भले आदमी को तीन सवारी क्यूँ चलन करते हो भाई| वो भी जनहित है| किसी तीसरे का नुक्सान तो नहीं कर रहा| बस थोडा सा कानून तोड़ रहा जैसे नगरपालिका परिषद् फर्रुखाबाद तोड़ रहा| नगरपालिका फर्रुखाबाद में इस जनहित शब्द का इस्तेमाल बड़े बड़े घोटालो को करने के लिए होता रहा है| इसकी खबर भी जल्द ही मिलेगी शीर्षक होगा- “जनहित में 13 करोड़ के लावारिस पम्प हाउस के बहाने नगरपालिका का गैर-कानूनी खेल”