साक्षात्कार: बचा हुआ विकास कार्य पूरा होगा- वत्सला अग्रवाल

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फर्रुखाबाद: नगरपालिका में कुर्सी के लिए घमासान जोरो पर है| सीट महिला के लिए आरक्षित हो जाने पर पुरुषो को अपनी पत्नियो, माँ या बहनों/भाभियों को चुनाव मैदान में उतरना पड़ा है| जेएनआई पर अभी तक अध्यक्ष पद के प्रत्याशियो के साक्षात्कार प्रकाशित हुए वह सभी नए नवेले प्रत्याशियो के थे| इस बार इस प्रत्याशी से हम आपकी मुलाकात कराने जा रहे है वे लिखा पढ़ी में भले ही नए नवेले हो मगर पिछली नगरपालिका के कार्यकाल की नस नस से वाकिफ रही है| ये हैं निवर्तमान अध्यक्ष और एमएलसी मनोज अग्रवाल की पत्नी श्रीमती वत्सला अग्रवाल| वत्सला इस नगर के गणमान्य और समाजसेवी स्व० विश्न्स्वरूप अग्रवाल की बहू है| नरेश अग्रवाल से लेकर अंतू मिश्र तक के कई छोटे बड़े चुनाव और चुनावी गतिविधियाँ इनके घर के ड्राईंग रूम में होती रही| नगरपालिका इनके घर में रही, नगर की महिलाओ ने मनोज अग्रवाल की अनुपस्थिति में वत्सला अग्रवाल से अपनी समस्यायों पर सिफारिशे भी करवाई| पेश है वत्सला अग्रवाल से एक मुलाकात-

रिपोर्टर- कुछ अपने बारे में बाताये|
वत्सला- मेरा जन्म काशीपुर में 17 अप्रैल 1966 को हुआ| पिता स्व श्री रामकुमार गर्ग व्यवसायी थे| हम 6 बहने है| मेरी प्रारम्भिक शिक्षा काशीपुर में हुई उसके बाद मेरठ यूनिवर्सिटी में मास्टर इन फिलोसफी (एम फिल) किया| वर्ष 1990 में मैं फर्रुखाबाद आ गयी जब मनोज जी से मेरा विवाह 25 फरवरी 1990 को हुआ| पढ़ा लिखा परिवार रहा| राजनैतिक परिवेश का कोई नामोनिशान मायके में नहीं था| यहाँ तक कि ससुराल में भी राजनीति शादी के बहुत दिनों बाद घुस पायी| परिवार में एक बेटी और दो बेटे है| जिनकी पढ़ाई लिखाई और देखभाल मेरे कंधो पर रही| पति व्यस्त व्यवसायी होने के कारण काफी व्यस्त रहे लिहाजा बच्चो को अधिक समय भी मैंने दिया| अब बच्चे बड़े हो चले है लिहाजा बाहरी दुनिया की गतिविधिओ की ओर रुझान समय मिलने के कारण स्वाभाविक हो गया|

रिपोर्टर- पति के राजनैतिक या उनके व्यवसायिक कार्य में कितना भागीदारी करती रही|
वत्सला- राजनीति में बिलकुल न के बराबर| हाँ नगर में सामाजिक गतिविधिओ में जरुर भागीदारी करने लगी थी| बाबू जी (स्व० विश्न्स्वरूप अग्रवाल) के समय से लोग अपने सार्वजनिक कार्यक्रमों में मुझे मुख्य अतिथि के रूप में बुलाने लगे थे| शुरू शुरू में कुछ संकोच भी लगा मगर बाबूजी बाहर निकलने के लिए प्रेरित करते और मैं सार्वजनिक कामो में रूचि लेने लगी| एक वाकया याद आता है जब ये (मनोज अग्रवाल) नगरपालिका का चुनाव जीते थे| कुछ ही दिनों बाद विपक्षियो ने हमला कर दिया और फायरिंग कर भाग गए| कुछ समय के लिए डर लगा, ऐसा लगा कि राजनीति में गंदापन है| मगर समय के साथ हिम्मत बढ़ती गयी|

रिपोर्टर- चुनाव क्यूँ लड़ना चाहती है?
वत्सला- वैसे अगर ये सीट महिला आरक्षित न होती तो शायद मैं चुनाव नहीं लडती| मगर आरक्षण के बाद मजबूरी है मुझे लड़ना पड़ा| और वो भी इसलिए कि अभी भी नगर के विकास के लिए अच्छे लोगो की जरुरत है| कुछ काम जो बजट आदि के अभाव में अधूरे रह गए वो भी हो जाए और हर नागरिक को सुविधा हो जाए इसलिए उनकी सेवा की खातिर मैं चुनाव मैदान में आई|

रिपोर्टर- नगरपालिका के दायित्व क्या है? कौन कौन सी जिम्मेदारिया है जनता के प्रति नगरपालिका की?
वत्सला- (कुछ सोचते हुए) सर्व समाज को मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराना- जैसे सड़क, पानी, सफाई, स्ट्रीट लाइट आदि|

रिपोर्टर- चुनाव में आपका मुख्य मुद्दा क्या होगा?
वत्सला- विकास और सिर्फ विकास| सर्व समाज का विकास वो भी बिना भेदभाव का|

रिपोर्टर- आपके पास क्या योजना है इस नगरपालिका को और विकसित करने की?
वत्सला- शहर में जहाँ भी काम रह गया है उसका नक्शा बनाया है| उसी नक़्शे के आधार पर सड़क और पानी जैसी सुविधाएँ उपलब्ध करायी जाएँगी|