बीएड डिग्री धारक अभ्यर्थियों के लिए विशिष्ट बीटीसी के जरिये प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बनने के द्वार खुलने से बीए, बीएससी, बीकाम व बीएड की फर्जी डिग्री व अंकपत्र का धंधा भी चल निकला है। जनपद में फर्जी अंकपत्र व डिग्रियों से शिक्षक बनने का प्रयोग वर्ष 2004 में सफल हो जाने के बाद वर्तमान में एक सैकड़ा से अधिक शिक्षक फर्जी अंकपत्र व डिग्रियों के सहारे रैकिट चलाने वालों के विश्वविद्यालय, बोर्ड तथा रजलामई डायट व बीएसए कार्यालय की साठगांठ से सत्यापन रिपोर्ट सही लगवाकर प्रति माह 25 हजार मोटा वेतन लेकर शासन व राजकोष को चूना लगा रहे हैं। सर्वाधिक मामले विशिष्ट बीटीसी में फर्जी अंकपत्र व डिग्रियों से शिक्षक बनने के सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी, माध्यमिक शिक्षा मण्डल भोपाल के सामने आये हैं। बीएसए भगवत शरण पटेल ने सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी एवं माध्यमिक शिक्षा मण्डल भोपाल के शैक्षिक अंकपत्रों से नियुक्त शिक्षकों की सूचना खण्ड शिक्षा अधिकारियों से मांगी है।
फर्जी शिक्षकों के अंकपत्रों एवं डिग्रियों का सत्यापन भी रैकिट द्वारा विश्वविद्यालय व बोर्ड से करा दिया जाता है। फर्जी अंकपत्रों की शिकायत पर डायट एव ंबीएसए विभाग जांच के नाम पर विश्वविद्यालय को पत्र तो भेजते हैं साथ ही जिस शिक्षक की शिकायत होती है उस शिक्षक को भी अवगत करा दिया जाता है जिससे वह अपने शैक्षिक अंकपत्र व डिग्री का सत्यापन विश्वविद्यालय से अपने पक्ष में कराकर कार्यालय में जमा कर दे। वास्तव में नियुक्ति के पश्चात शिक्षकों की डिग्रियों एवं अंकपत्रों का सत्यापन गोपनीय रूप से कराया जाना चाहिए। सही सत्यापन पर ही शिक्षक को वेतन भुगतान किया जाना चाहिए।
उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी एवं माध्यमिक शिक्षा मण्डल भोपाल के डिग्रियों व शैक्षिक योग्यता के सहारे वर्ष 2004 से नियुक्त सभी शिक्षकों के अंकपत्रों का सत्यापन पुनः करने के आदेश एससीईआरटी लखनऊ को दिये हैं। निदेशक एससीईआरटी लखनऊ द्वारा सभी जिलों के बीएसए एवं डायट प्राचार्य को सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी व माध्यमिक शिक्षा मण्डल भोपाल की शैक्षिक योग्यताओं से नियुक्त समस्त शिक्षकों के सत्यापन पुनः कराने के आदेश देने के बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी भगवतशरण पटेल ने वर्ष 2004 में विशिष्ट बीटीसी, वर्ष 2007 विशिष्ट बीटीसी, वर्ष 2008 विशिष्ट बीटीसी व बीटीसी 2004, मृतक आश्रित के अन्तर्गत नियुक्त शिक्षकों के शैक्षिक अंकपत्र की सूचना निर्धारित प्रारूप पर खण्ड शिक्षा अधिकारियों से मांगी है। जबकि बेसिक शिक्षा कार्यालय में नियुक्ति के समय ही शिक्षकों द्वारा काउंसलिंग के दौरान अपने शैक्षिक अंकपत्र व डिग्रियां जमा की थीं जो कार्यालय में उपलब्ध हैं।
सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्रियों से कार्यरत दो मुन्नाभाइयों पर कार्यवाही नहीं
सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी की फर्जी अंकपत्रों व डिग्रियों के सहारे श्रवण कुमार सहायक अध्यापक प्राथमिक विद्यालय नगला बरुआ विकासखण्ड कमालगंज व नरेन्द्र पाल सिंह सहायक अध्यापक प्राथमिक विद्यालय दाउदपुर विकासखण्ड मोहम्मदाबाद का सत्यापन वर्ष 2008 में चार वर्ष पूर्व डायट रजलामई को प्राप्त हुआ था। लेकिन डायट रजलामई द्वारा इन दोनो शिक्षकों के सत्यापन में फर्जी पाये जाने की सूचना 10 माह पूर्व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी फर्रुखाबाद को पत्रांक 348-50 दिनांक 3 अगस्त 2011 को विश्वविद्यालय की प्राप्त सत्यापन आख्या संलग्न कन वैधानिक कार्यवाही करने की संस्तुति की थी। बीएसए फर्रुखाबाद द्वारा इन दोनो शिक्षकों को जनवरी 2012 तक वेतन भुगतान भी किया गया। कार्यवाही के नाम पर इन दोनो शिक्षकों के शैक्षिक अंकपत्रों का सत्यापन पुनः विशेष वाहक संजय पटेल से कराया जा रहा है। देखना यह है कि विशेष वाहक इन दोनो शिक्षकों के शैक्षिक अंकपत्रों का सत्यापन कब तक विश्वविद्यालय से कराकर लायेंगे।
वर्ष 2004 मेंसम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के अंक पत्रों से नियुक्त अन्य शिक्षक
इन दोनो शिक्षकों के अतिरिक्त सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी की पूर्व मध्यमा, उत्तर मध्यमा, शास्त्री व शिक्षा शास्त्री की डिग्रियों के सहारे जबर सिंह पाल तथा शास्त्री व शिक्षा शास्त्री की डिग्रियों से सर्वेश कुमारी पाल वर्ष 2004 से जनपद में शिक्षक के रूप में कार्य कर रहे हैं। पूर्व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डा0 कौशल किशोर द्वारा जबर सिंह पाल को सहायक अध्यापक पद पर पूर्व माध्यमिक विद्यालय नगला खुशहाली राजेपुर व सर्वेश कुमारी पाल को सहायक अध्यापक पद पर पूर्व माध्यमिक विद्यालय भगवानपुर शमशाबाद में प्रोन्नति 6 माह पूर्व दी गयी है। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से वर्ष 2004 में शास्त्री व शिक्षा शास्त्री की डिग्री से कृपांतीदेवी की भी नियुक्ति हुई थी। जो अब प्रधानाध्यापक पद पर शमसाबाद ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय घमगवां में तैनात हैं।
वर्ष 2007, 2008 में विशिष्ट बीटीसी के अंतर्गत सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के अंक पत्रों से नियुक्त शिक्षक
वर्ष 2004 में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी की फर्जी डिग्रियों से शिक्षक बनने की जुगाड़ सफल होने के बाद आधा सैकड़ा से अधिक शिक्षकों ने विशिष्ट बीटीसी 2007 एवं02008 में अपना चयन करा लिया। डायट प्राचार्या रजलामई द्वारा लगभग आधा दर्जन शिक्षकों के शैक्षिक अंकपत्र सत्यापन में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी से जांच में फर्जी मिलने पर उनके विरुद्ध एफआईआर भी करायी जा चुकी है। वर्तमान में श्रीनाथ शिक्षा शासत्री (बीएड) की डिग्री से प्राथमिक विद्यालय धनी नगला ब्लाक राजेपुर में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त है। शिक्षा शास्त्री की ही डिग्री से बृज बिहारी सिंह नवाबगंज ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय रायपुर में सहायक अध्यापक पद पर तैनात हैं। पूर्व मध्यमा, उत्तर मध्यमा व शास्त्री परीक्षा की शैक्षिक योग्यता से अनिल कुमार पाल शमसाबाद विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय बघऊ में सहायक अध्यापक पद पर तैनात है। शिक्षा शास्त्री की डिग्री से ही सर्वेश कुमार सागर विकास खंड मोहम्मदाबाद के प्राथमिक विद्यालय नगला अखई में सहायक अध्यापक पद पर कार्यरत है। इसी लाट के दो अन्य शिक्षक बृजमोहनलाल पुत्र जगदीश प्रसाद व उमेश चंद्र केसरवानी पुत्र जमुना प्रसाद पूर्व मध्यमा व शास्त्री की डिग्री से जनपद के प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत हैं।