राजीवगांधी की पुण्य तिथि पर युवा लें आतंकवाद मिटाने की शपथ

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फर्रुखाबाद : 21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस मनाया जाएगा। इस दिन प्रातः  सभी शासकीय कार्यालयों में अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा आतंकवाद विरोधी शपथ ली जावेगी। साथ ही आतंकवाद राष्ट्रीय हितों के प्रतिकूल है तथा युवकों को आतंकवादी  हिंसावादी गतिविधियों से पृथक करना है, इस आशय की प्रेरणा देने वाले अन्य जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किये जावेंगे।

शपथ का प्रारूप

‘हम भारतवासी अपने देश की अहिंसा एवं सहनशीलता की परंपरा में दृढ़ विश्वास रखते हैं तथा निष्ठापूर्वक शपथ लेते हैं कि हम सभी प्रकार के आतंकवाद और हिंसा का डटकर विरोध करेंगे। हम मानव जाति के सभी वर्गो के बीच शांति, सामाजिक सद्भाव तथा सूझ-बूझ कायम करने और मानव जीवन मूल्यों को खतरा पहुंचाने वाली व विघटनकारी शक्तियों से लड़ने की शपथ लेते हैं’।

 

राजीव गाँधी का पूरा नाम राजीव रत्न गांधी था। इनका जन्म 20 अगस्त 1944 को बंबई (वर्तमान मुम्बई), भारत में हुआ था।राजीव गाँधी जवाहरलाल नेहरू के प्रपौत्र और फिरोज गांधी व भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के पुत्र थे। राजीव गांधी भारत की कांग्रेस (इ) पार्टी के अग्रणी महासचिव (1981 से) थे, और अपनी माँ की हत्या के बाद भारत के प्रधानमंत्री  (1984_1989) बने।राजीव गाँधी का विवाह सोनिया गांधी के साथ हुआ था। राजीव गाँधी के दो सन्तानें है, पुत्र राहुलगांधी और पुत्री प्रियंका गांधी।

शिक्षा

राजीव तथा उनके छोटे भाई संजय गांधी(1946_1980) की शिक्षा-दीक्षा देहरादूनके प्रतिष्ठित दून स्कूल में हुई थी। इसके बाद राजीव गांधी ने लंदनके इंपीरियल कॉलेज में दाख़िला लिया तथा केंब्रिज विश्वविद्यालय (1965) से इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम पूरा किया, भारतलौटने पर उन्होंने व्यावसायिक पायलट का लाइसेंस प्राप्त किया और 1968से इंडियन एयरलाइन्स में काम करने लगे।

 सोनिया गांधी एवं राजीव गाँधी
Rajiv Gandhi And Sonia Gandhi

कार्यकारिणी सदस्य

जब तक उनके भाई जीवित थे, राजीव राजनीति से बाहर ही रहे, लेकिन एक शक्तिशाली राजनीति व्यक्तित्व के धनी संजय की 23 जून , 1980 को एक वायुयान दुर्घटना में मृत्यु हो जाने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी राजीव को राजनीतिक जीवन में ले आईं। जून 1981 में वह लोकसभाउपचुनाव में निर्वाचित हुए और इसी महीने युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बन गए।

प्रधानमंत्री के रूप में

राजीव को सौम्य व्यक्ति माना जाता था। जो पार्टी के अन्य नेताओं से विचार-विमर्श करते थे और जल्दबाज़ी में निर्णय नहीं लेते थे। जब 31 अक्टूबर 1984 को उनकी माँ की हत्या हुई, तो राजीव को उसी दिन प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई और उन्हें कुछ दिन बाद कांग्रेस (इं) पार्टी का नेता चुन लिया गया।

अलगाववादी आन्दोलन

दिसम्बर 1984 के आम चुनाव में उन्होंने पार्टी की ज़बरदस्त जीत का नेतृत्व किया और उनके प्रशासन ने सरकारी नौकरशाही में सुधार लाने तथा देश की अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के लिए ज़ोरदार क़दम उठाए। लेकिन पंजाबऔर कश्मीरमें अलगाववादी आन्दोलन को हतोत्साहित करने की राजीव की कोशिश का उल्टा असर हुआ तथा कई वित्तीय साज़िशों में उनकी सरकार के उलझने के बाद उनका नेतृत्व लगातार अप्रभावी होता गया। 1989 में उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया, लेकिन वह कांग्रेस (इं) पार्टी के नेता पद पर बने रहे। आगामी संसदीय चुनाव के लिए तमिलनाडु में चुनाव प्रचार के दौरान एक आत्मघाती महिला के बम विस्फोट में उनकी मृत्यु हो गई। कहा जाता है कि यह महिला तमिल अलगाववादियों से संबद्ध थी।