बीएसए की मिलीभगत से फर्जी शिक्षकों का सरकारी खजाने पर डाका

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फर्रुखाबाद: फर्जी शैक्षिक अंकपत्रों एवं प्रशिक्षण प्रमाणपत्रों एवं डिग्रियों के आधार पर प्राथमिक विद्यालयों में विशिष्ट बीटीसी और बीटीसी के अन्तर्गत  नौकरी पाने वाले लगभग एक सैकड़ा फर्जी शिक्षक बीएसए व विभागीय अधकारियों की मिली भगत से सरकारी खजाने को लगभग 3 करोड़ रुपये वार्षिक का चूना लगा रहे हैं। इन्हीं में से एक राजनरायन शाक्य के विरुद्ध तीन माह पूर्व जारी आदेश के बावजूद आज तक एफआईआर दर्ज होना तो दूर उसे बर्खास्तगी आदेश तक प्राप्त नहीं कराया गया है। एक अन्य शिक्षिका के विरुद्ध आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा असली अंकपत्र की प्रमाणित प्रति उपलब्ध करादेने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। हाईकोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा मण्डल भोपाल और सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी की डिग्रियों के सहारे 2004 से नियुक्त सभी शिक्षकों की पुनः सत्यापन कराने का आदेश बेसिक शिक्षा विभाग को दिया था, यह भी कही कूड़े में पड़ा है।

जनपद फर्रुखाबाद में लगभग एक सैकड़ा से अधिक शिक्षक फर्जी अंकपत्रों के सहारे प्रति माह 25 हजार रुपये मोटा वेतन लेकर राजकोष को चूना लगा रहे हैं। जो लोग खुद फर्जी तरीके से नौकरी प्राप्त कर रहे हैं। वह बच्चों की पढ़ाई में कितनी दिलचस्पी लेते हैं। फर्जी शिक्षक अपने विरुद्व आने वाली शिकायतों को बीएसए कार्यालय एवं डायट के लिपिकों तथा विश्वविद्यालय  से साठगांठ कर अपना फर्जी सत्यापन करा बचते चले आ रहे हैं।

डायट व बीएसए कार्यालय में यदि शिक्षक का सही सत्यापन आ जाता है और उसकी डिग्री गलत निकलती है तो भी उसे बचाकर लीपापोती फर्रुखाबाद का बीएसए आफिस कर रहा है। डायट रजलामई की जांच में सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी की फर्जी डिग्रियों से नियुक्त श्रवण कुमार सहायक अध्यापक प्राथमिक विद्यालय बरुआ नगला (कमालगंज), नरेन्द्र पाल सिंह सहायक अध्यापक प्राथमिक विद्यालय दाउदपुर पूर्वी (मोहम्मदाबाद) तथा कामता प्रसाद सुन्दरलाल साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय अयोध्या फैजाबाद की बीए की  फर्जी डिग्री से नियुक्त राजनरायन शाक्य सहायक अध्यापक प्राथमिक विद्यालय अलीदादपुर (मोहम्मदाबाद) के विश्वविद्यालय से सत्यापन में फर्जी पाये जाने पर बीएसए फर्रुखाबाद को विगत नौ माह पूर्व पत्र लिखकर वैधानिक कार्यवाही करने के निर्देश दिये थे। बीएसए द्वारा इन तीन शिक्षकों में से मात्र राजनरायन शाक्य के विरुद्ध कार्रवाई की शुरुआत हुई, वह भी एक आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा साक्ष्यों सहित की गयी शिकायत  व एडीएम फर्रुखाबाद पर राज्यसूचना आयोग द्वारा अर्थदण्ड लगाये जाने के बाद।

विगत 27 फरवरी को राजनरायन के विरुद्ध सेवा समाप्त के आदेश में बीएसए द्वारा खण्ड शिक्षा अधिकारी मोहम्मदाबाद को तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने एवं भुगतान किये गये वेतन एवं अवशेष देयकों की वसूली के निर्देश दिये गये थे। बीएसए की मौन सहमति के चलते आदेशों को दरकिनार कर दोषी राजनरायन शाक्य के विरुद्व अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। बीएसए फर्रुखाबाद द्वारा सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी की जांच में फर्जी डिग्रियों से नियुक्त नरेन्द्र पाल सिंह एवं श्रवण कुमार दोनो शिक्षकों के विरुद्व 10 माह बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। केवल इन दोनो शिक्षकों का बीएसए द्वारा वेतन रोककर खानापूरी की गयी है। एक अन्य आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा 6 वर्ष पूर्व नियुक्त फर्जी योग्यता प्रमाणपत्रों से नियुक्त शिक्षिका कांती राठौर की बीए फाइनल की मार्कशीट के विषय में साक्ष्यों सहित 20 दिन पूर्व जिलाधिकारी को की गयी शिकायत पर भी बीएसए ने दोषी शिक्षिका की सेवा समाप्ति नहीं की है।

इसी तरह प्राथमिक विद्यालय बलीपुर (नबावगंज) के सहायक अध्यापक जबरसिंह पाल को 6 माह पूर्व पूर्व माध्यमिक विद्यालय नगला खुशहाली (राजेपुर) में सहायक अध्यापक पद पर प्रोन्नति दी है। इन के विरुद्व कई बार हुई शिकायतों को ठंडे बस्तों में डाल दिया गया है।