लालच में अंधे भाई ने ही पोंछ दिया दो-दो बहनों की मांग का सिंदूर??

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फर्रुखाबाद: बहन के सुहाग की रक्षा की जमानत समझे जाने वाला भाई ही यदि एक नहीं दो-दो बहनों की मांग का सिंदूर एक साथ पोंछ दे तो शायद इस पर सहज विश्वास नहीं किया जा सकता। परंतु पैसे की लालच मनुष्य को किस हद तक जानवर बना सकती है, इसका अंदाजा लगाना शायद असंभव है। अमृतपुर में शुक्रवार को बरामद दो सगे साढ़ुओं की लाशों का रहस्य गहराता जा रहा है। पुलिस अधीक्षक के आदेश पर एसओजी टीम ने मौके पर पहुंच कर जांच पड़ताल प्रारंभ कर दी है। प्रारंभिक तहकीकात में हत्या के मामले में शक की सुई साले गनेश पुत्र दया राम, निवासी मेरापुर कन्नौज पर किया जा रहा है। बताते हैं कि अनिल के पास नगद 80-90 हजार रूपये के अतिरिक्त शादी का जेवर भी था।

पुलिस व एसओजी द्वारा की गयी अभी तक की जांच में जो तथ्य सामने आये हैं, उनके अनुसार जिस स्थान पर लाशे मिली हैं, वहां पर खून के निशान नहीं मिले हैं। जाहिर है कि हत्या कहीं और गयी। घटनाक्रम के अनुसार अमृतपुर थाने के दरोगा ओमप्रकाश गुरुवार रात्रि लगभग आठ बजे राजपुर के निकट गश्त कर रहे थे। तभी उनकों वही पर दरोगा को गनेश, रामआसरे, हवलदार, संदीप आदि मिले। संदिग्ध अवस्था में घूमते देख ओमप्रकाश ने इन लोगो से पूछतांछ की तो बताया कि हमारे कुछ लोग रास्ते में से कहीं गायब हो गये हैं। इसी दौरान दरोगा ओमप्रकाश को भट्टे से सूचना मिली कि एक लावारिस मोटर साइकिल नंबर UP-74-H-2366 मिली है।ओमप्रकाश इन लोगों को लेकर भट्टे पर ले गये। रात्रि लगभग बारह बजे पुलिस उनके साथ तलाश करती रही परंतु कुछ हाथ नहीं लगा तो यह लोग शादी में सम्मिलित होने की बात कह कर ग्राम कांकर शाहजहांपुर चले गये। सुबह पुलिस को सूचना मिली कि दो लाशे पड़ी मिली है। मौके से अंगौछा, घड़ी व मोबाइल मिला है।

तफतीश के दौरान मृतकों के साले गनेश के द्वारा बार-बार अपना बयान बदलने से शक की सुई उसकी ओर घूम रही है। पहले गनेश ने बतया कि घटियाघाट तक मृतक हुकुम सिंह व अनिल कुमार मार्शल जीप से आये, वहां से उन्होने मेरी मोटर साइकिल लेली व मुझे मार्शल पर बैठा दिया। परंतु बाद में सख्ती किये जाने पर गनेश ने बताया कि नहीं वह शुरू से अंत तक मोटर साइकिल से चला। जबकि गुरूवर रात  यह लोग मार्शल जीप से मिले थे। पुलिस को शक है कि जिस समय रात को गनेश व उसके साथी दरोगा ओमप्रकाश को मिले थे, उस समय भी मार्शल में दोनो लाशे पड़ी थी। गनेश व उसके साथी लाशों को फेंकने के लिये उपयुक्त स्थान की तलाश कर रहे थे। परंतु इसी दौरान दरोगा की नजर उन पर पड़गयी। बाद में किसी समय इन लोगों ने जाने का बहाना कर लाशे रास्ते में फेंक दीं व शादी में सम्मिलित होने चले गये।