बीएसए ने घूस लेकर एकल विद्यालयों के अध्यापक भी दूसरे ब्लाकों में भवन प्रभारी बनाये

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कंपिल (फर्रुखाबाद): विकासखण्ड कायमगंज शिक्षा की दृष्टि से जनपद का सबसे पिछड़ा ब्लाक है। इसमें भी सर्वाधिक बुरी स्थिति कंपिल के तराई क्षेत्रों की है। इन दूरस्थ व दुर्गम विद्यालयों में मोटे वेतन के बावजूद अध्यापक जाने को तैयार नहीं हो रहे। यहां पर तैनात अध्यापक आमतौर पर या तो अधिकारियों से सैटिंग कर विद्यालय जाते ही नहीं हैं या कोई दूसरी जुगत भिड़ाकर कहीं और सम्बद्ध हो जाते हैं और जब कोई कला नहीं चलती तो अधिकारियों को रिश्वत देकर सस्पेंड तक हो जाते हैं। रिश्वत के बदले उन्हें किसी ब्लाक मुख्यालय से सम्बद्ध कर दिया जाता है। बाद में साल छः महीने बाद जांच में उन्हें निर्दोष करार देकर पूरा वेतन एकमुश्त निकाल दिया जाता है। इसमें से भी अलग से अवैध वसूली का भी प्राविधान है।

कंपिल क्षेत्र की गंगा कटरी के दर्जनों ग्रामों में बेसिक शिक्षा के अधिकांश स्कूल कभी खुलते ही नहीं हैं। इन विद्यालयों में ऊंची-ऊंची खड़ी घास इनके निष्प्रयोज्य होने की गवाही देती है। कुछ स्कूल भवनों का तो ग्रामीण जानवर बांधने, कंउे पाथने और भूसा भरने तक में उपयोग करते हैं। इस व्यवस्था में बेसिक शिक्षा विभाग का पूरा तंत्र सहभागी है। न तो इन विद्यालयों का नियमिम निरीक्षण संम्बंधित ब्लाक स्तरीय शिक्षा अधिकारी करते हैं और न ही जनपद स्तरीय अधिकारी।

आंकड़ों को दुरुस्त रखने के लिए इन विद्यालयों में अध्यापकों की तैनाती तो कर दी जाती है परन्तु यह अध्यापक कभीकबार ही स्कूल जाते हैं वह भी केवल शिक्षा समिति के सदस्यों या प्रधान से सम्बंधित अभिलेखों पर हस्ताक्षर मात्र के लिए। इस कवायद तक से बचने के लिए यहा पर तैनात अध्यापक नई-नई जुगत भिड़ाते रहते हैं।

कंपिल तराई क्षेत्र के इनमें से कई एकल विद्यालयों के अध्यापक तो बीएसए को घूस देकर दूसरे ब्लाकों में भवन प्रभारी तक बन गये। सबसे रोचक कारनामा तो मानिकपुर में तैनात एक अध्यापिका का है। उन पर निलंबन की कृपा कर जिला मुख्यालय पर स्थित बीआरसी बढ़पुर से सम्बद्ध कर दिया गया। मजे की बात है कि इस पूरे गोरख धन्धे में उगाही और वसूली में बराबर के भागीदार खण्ड शिक्षा अधिकारी सारी जिम्मेदारी बीएसए पर डालकर अपना पल्ला झाड़ने की मुद्रा में खड़े नजर आते हैं।

उपरोक्त परिस्थितियों के सत्यापन के लिए बानगी के तौर पर प्राइमरी पाठशाला कारब, मानिकपुर, नरायनपुर और जूनियर हाईस्कूल टिलिया के उदाहरण नजीर हैं। प्राइमरी पाठशाला कारब में तैनात एक मात्र अध्यापक अनुराग सिंह को नबावगंज में भवन प्रभारी बनाकर भेज दिया गया है। प्राइमरी पाठशाला नरायनपुर में तैनात एक मात्र अध्यापक सुनील सिंह को भी भवन प्रभारी बनाकर शमशाबाद भेज दिया गया है। पूर्व माध्यमिक विद्यालय टिलिया के अध्यापक पंकज भी नबावगंज में भवन बनवा रहे हैं। प्राइमरी पाठशाला मानिकपुर की स्थिति और भी रोचक है। यहां पर तैनात दो में से एक अध्यापक राजीव यादव नबावगंज में भवन प्रभारी बना दिये गये हैं तो दूसरी अध्यापिका सवा सिददीकी को निलंबन का तोहफा देकर बीआरसी बढ़पुर भेज दिया गया है। अब जाहिर है इस पूरी प्रक्रिया के पीछे केवल घूस और रिश्वतखोरी का खेल है। परन्तु बेसिक शिक्षा अधिकारी डा0 कौशल किशोर इस प्रश्न पर कुछ भी कहने को तैयार नहीं है।

खण्ड शिक्षा अधिकारी कायमगंज पुष्पराज पूरी व्यवस्था के लिए जिम्मेदारी बीएसए पर डालकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं।