लोकायुक्त पर भारी बीएसए के बाबू: फर्जी नियुक्तियों की जांच में नहीं दीं पत्रावलियां

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फर्रुखाबाद : लोकायुक्त द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग में अनियमितताओं की शिकायत प्रेमलता देवी पत्नी स्व0 श्री नन्हेंमल द्वारा की गयी थी। जिस पर मुख्य विकास अधिकारी ने जिला विकास अधिकारी को जांच बिंदुबार कराये जाने के निर्देश के क्रम में की गयी जांच में लंबे समय से तैनात लिपिक मनोज श्रीवास्तव द्वारा फर्जी नियुक्तियों की पत्रावलियां उपलब्ध न कराये जाने पर जांच पूर्ण नहीं हो सकी है। जिससे लोकायुक्त को की गयी शिकायत की जांच पूर्ण नहीं हो सकी है।

जांच अधिकारी ए के चन्द्रौल ने प्रेमलता द्वारा की गयी शिकायत में स्व0 देवेन्द्रनाथ तिवारी के वारिस अनुरुद्व तिवारी की चतुर्थ श्रेणी पद पर तथा पुत्री रेखा तिवारी की नियुक्ति सहायक अध्यापक पद पर की गयी थी। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा स्वीकार किया गया कि दोनो नियुक्तियां पूर्णतः फर्जी पाये गये हैं। सेवा समाप्ति के लिए मेमो दिनांक 10 नवम्बर 2000 में न्यायालय में वाद लंबित होने के कारण सेवा समाप्ति हेतु पत्र भेजा गया है। परन्तु यह जांच में पत्रावली उपलब्ध न होने के कारण सिद्ध नहीं हो सका है। उक्त दोनो मृतक आश्रित सेवा से निकाल दिये हैं या नहीं।

यही नहीं कई मृतक आश्रितों की नियुक्ति अपंजीकृत वसीयत से की गयी है। वहीं कमलेश त्रिपाठी व अवनीश कुमार त्रिपाठी की मृतक आश्रित में नियुक्ति के सम्बंध में भी तथा श्री राजेश कुमार त्रिपाठी की नियुक्ति पत्रावली कार्यालय द्वारा जांच हेतु उपलब्ध नहीं करायी गयी। जिससे एक मृतक पर तीन आश्रितों को नियुक्ति की विधि संगत पुष्टि नहीं हो सकी है। शिकायत में मनोज कुमार मिश्रा प्रधानाध्यापक अमेठी जदीद बढ़पुर की नियुक्ति मृतक आश्रित स्व0 मोहिनी मिश्रा की मृत्यु के 31 मई 1979 के उपरांत की गयी है के सम्बंध में की गयी शिकायत की पत्रावली जांच हेतु उपलब्ध नहीं करायी गयी। इसकी भी विधि संगत पुष्टि नहीं हो सकी।

जिसके चलते जांच अधिकारी द्वारा लिपिक मनोज श्रीवास्तव के विरुद्व आवश्यक अभिलेख पत्रावलियां उपलब्ध न कराये जाने के प्रकरण में संलिप्तता प्रथमदृष्टया परिलक्षित होती पायी गयी तथा लंबी अवधि से बेसिक शिक्षा कार्यालय में कार्यरत होने के कारण उनका स्थानांतरण अन्यत्र जनपद में किये जाने की रिपोर्ट मुख्य विकास अधिकारी को सौंपी है।

जबकि इस संबंध में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने मनोज श्रीवास्तव को इस आरोप से मुक्त मानते हुए कहा है कि मृतक आश्रित पत्रावलियों से मनोज श्रीवास्तव का संबंध नहीं है। जनपद में लंबी अवधि की तैनाती के विषय में कहा गया हे कि यह उच्चाधिकारियों के अधिकार क्षेत्र का बिंदु है।