हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक नजीर के हवाले से फिर कहा है कि प्रदेश में आम जनता के उपयोग की जमीनों, चकरोडों, नालियों व नहरों की पटरियों से अतिक्रमण हटवाने की जिम्मेदारी सूबे के प्रमुख सचिव राजस्व विभाग व जिलाधिकारियों, उपजिलाधिकारियों व सहायक कलेक्टरों की है। कोर्ट ने कहा, अगर कहीं से अतिक्रमण की शिकायतें मिलें तो हटाने के लिए पुलिस की मदद से सख्त कार्रवाई की जाए।
न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह व न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने यह फैसला प्रदीप कुमार सिंह की रिट का निपटारा करते हुए सुनाया। याची का कहना था कि निजी पक्षकारों ने आम जनता के उपयोग की जमीन पर अतिक्रमण कर लिया है। याची के वकील ने इसे हटवाने का आग्रह कर ‘पन्नालाल एवं अन्य बनाम डीएम गौतमबुद्ध नगर एवं अन्य’ मामले में दी गई विधि व्यवस्था पेश की। अदालत ने इसके मद्देनजर पक्षकारों, सरकार के प्रमुख सचिव राजस्व को निर्देश दिया कि याची की शिकायत का तीन माह में निस्तारण करें।
कोर्ट ने विधि व्यवस्था का हवाला देते हुए कहा कि आम जनता के उपयोग की जमीनों, चकरोडों, नालियों व नहरों की पटरियों पर से तत्काल अतिक्रमण हटाना सुनिश्चित कराने के लिए प्रदेश के मुख्य सचिव को निर्देश दिया गया था कि वह इसके लिए सूबे के सभी डीएम को जरूरी निर्देश दें। कोर्ट ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए थे कि अतिक्रमण की शिकायतें मिलने पर उपजिलाधिकारियों या सहायक कलेक्टरों को तत्काल कार्रवाई करने के आदेश देंगे। साथ ही पुलिस की मदद से ऐसे अतिक्रमम को हटवाने की सख्त कार्रवाई करें।
कोर्ट ने उपजिलाधिकारियों व सहायक कलेक्टरों को निर्देश दिए कि वे भविष्य में ऐसे अतिक्रमण दोबारा न होने देने के लिए जरूरी व्यवस्था करेंगे और इस पर सख्त नजर रखेंगे। कोर्ट ने प्रदेश के जिलाधिकारियों को यह भी ताकीद की थी कि इन आदेशों के पालन में नाकाम रहने वाले संबंधित उपजिलाधिकारियों व सहायक कलेक्टरों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा। कोर्ट ने इस फैसले (नजीर) की प्रति प्रदेश के प्रमुख सचिव राजस्व को पालनार्थ भेजने के निर्देश भी दिए थे।