फर्रुखाबाद: बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में घालमेल और सूचना के अधिकार अधिनियम के साथ खिलवाड़ का रिवाज काफी पुराना है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के विरुद्व राज्य सूचना आयोग में लगभग आधा सैकड़ा मुकदमें लंबित हैं। हाल ही में एक आरटीआई एक्टिविस्ट को दी गयी झूठी सूचना के मामले में वर्तमान बेसिक शिक्षा अधिकारी डा0 कौशल किशोर बुरी तरह फंस गये हैं। झूठी सूचना दिये जाने के आरोप में आरटीआई एक्टिविस्ट ने बीएसए के विरुद्व एफआईआर हेतु साक्ष्यों सहित तहरीर दी है।
बेसिक शिक्षा अधिकारी के अन्तर्गत नगर शिक्षा अधिकारी कार्यालय में तैनात एक लिपिक की फर्जी प्रोन्नति को छुपाने के लिए इस सम्बन्ध में सूचना के अधिकार के तहत दिये गये आवेदन पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डा0 कौशल किशोर सिरे से उसके कार्यरत होने की सूचना तक से मुकर गये। जबकि इससे पूर्व तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राम सागर पति त्रिपाठी के हस्ताक्षर से जारी विभागीय लिपिकों की वरिष्ठता सूची में प्रश्नगत लिपिक मकसूद अहमद क्रम संख्या 12 पर अंकित दर्शाया गया है। वरिष्ठता सूची में अंकित विवरण के अनुसार मकसूद अहमद की जन्मतिथि 10 जुलाई 1958 व द्वितीय श्रेणी लिपिक पद पर प्रोन्नति/नियुक्ति की तिथि 5 फरवरी 2006 से नगर शिक्षा अधिकारी कार्यालय में दर्शायी गयी है।
आरटीआई एक्टिविस्ट प्रेमलता देवी के सूचना के अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत दिये गये आवेदन पर पहले तो बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय टालमटोल करता रहा। बाद में राज्य सूचना आयोग में की गयी अपील के क्रम में आदेश पारित हो जाने के बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डा0 कौशल किशोर के हस्ताक्षर से पत्रांक संख्या 7461-66 दिनांक 19 नवम्बर 2011 में क्रम संख्या 4 पर दर्शाया गया है कि मकसूद अहमद नाम का कोई कर्मचारी कार्यालय नगर शिक्षा अधिकारी फर्रुखाबाद में कार्यरत नहीं है। जबकि इसी आवेदन के क्रम संख्या पांच पर यह भी पूछा गया था कि इस नाम का कर्मचारी वर्तमान में किस पद पर व किस कार्यालय में सेवारत है। उक्त कर्मचारी का प्रथम नियुक्ति दिनांक से अद्यतन वेतन भुगतान का विवरण व साक्ष्यों की प्रमाणित छायाप्रतियां उपलब्ध करायी जायें। इस बिन्दु का बीएसए ने कोई उत्तर देना तक मुनासिब नहीं समझा व इस बिन्दु के समक्ष कॉलम रिक्त छोड़ दिया गया।
प्रेमलतादेवी ने दोनो विरोधाभासी साक्ष्यों सहित बेसिक शिक्षा अधिकारी डा0 कौशल किशोर के विरुद्व झूठी सूचना देना धोखाधड़ी आदि के मामले में एफआईआर दर्ज किये जाने हेतु पुलिस अधीक्षक को प्रार्थनापत्र दिया है। एफआईआर की तहरीर की प्रतिलिपि जिलाधिकारी के अतिरिक्त मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव के अतिरिक्त विभागीय प्रमुख सचिव को भी दी गयी है।