फर्रुखाबाद, शहर में स्वागत करने वालों की अलग लाबी है. कोई मंत्री बने एक पगड़ी, एक तलवार और एक माला लिए तैयार मिलते हैं. स्वागत का यह तरीका बहुत किफायेती है. सौ रुपये में पगड़ी और चालीस में तलवार. इतने मामूली खर्चे में मंत्री या नेता गदगद दिखे और कैमरे के फ्लैश चमकें तो चतुर- चालक तो स्वागत की तिकड़म करने वाला ही हुआ.
नेताओं के घरों पर पगड़ी और तलवारों के ढेर लगे मिलते हैं. चांदी महंगी हुई तो लोगों ने मुकुट पहेनना छोड़ दिया. याद हो जब राम बक्श वर्मा संसद बनकर आये तो उनका स्वागत चांदी का मुकुट लगाकर किया जाता था और श्री वर्मा बड़ी शान से उस मुकुट को वहीँ किसी मोअज्जिज आदमी के पास छोड़ आते थे और ऐलान कर देते थे कि यह किसी गरीब लड़की की शादी में दे देना.
फिलहाल तलवार और पगड़ी से स्वागत के फैशन ने तो और जोर पकड़ा. चौक पर रामलीला और नाटक का सामन बेंचने वाले ही नेता जी के स्वागत की पगड़ी और तलवार बेंचते हैं. मंच पर तालियों के बीच जो पगड़ी पहेनायी जाती है वह वाही पगड़ी होती है जो बारात के वक्त दूल्हा के सर पर रखने के लिए बेंची जाती है. और जिस तलवार को नेता जी म्यान से निकलकर अन्याय के खिलाफ जंग का ऐलान करते हैं वह तलवार रामलीला के मंचन में रावण की टीम के लिए लोग किराये पर ले जाते हैं. अब नेता जी को बनाने का इससे भोंडा तरीका और
क्या हो सकता है यानि दुल्हे वाली पगड़ी और रावण सेना वाली तलवार. एक सौ रुपये में पगड़ी और चालीस में तलवार से स्वागत का इंतजाम.