खानापूर्ति: बीएड अवैध फीस वसूली में क्षेत्रीय शिक्षा निदेशक जाँच करेंगे- नगर मजिस्ट्रेट

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हिम्मत दिखा कर पीडी महिला डिग्री कॉलेज की बीएड छात्राओं ने नगर मजिस्ट्रेट तक अपने कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ अवैध फीस की शिकायत दर्ज करायी उस पर जाँच का लालीपॉप टिकाकर नगर मजिस्ट्रेट ने अपने कर्तव्य की इति श्री कर ली| पिछले कई वर्षो से कितने ही बार अलग अलग कॉलेज के बीएड छात्रो ने अवैध फीस वसूली के मुद्दे उठाकर धरना प्रदर्शन तक किया मगर कभी कोई नतीजा नहीं निकला| जाँच के दौरान जाँच करने वालों को रजिस्टर तक नहीं दिए गए, बाबजूद इसके कॉलेज का कुछ भी नहीं बिगड़ा अलबत्ता छात्र ही चुप बैठ गए| ऐसा है प्रशासनिक तंत्र| क्या दबंग, पहुच वाले और अमीर लोगो के समक्ष नतमस्तक प्रशासनिक तंत्र केवल आम जनता पर सत्ता करना चाहती है?

पिछले वर्ष ही कमालगंज आरपी डिग्री कॉलेज के छात्रो का एक साल ख़राब हुआ था प्रबन्धन की लापरवाही के चलते| छात्रो ने धरना प्रदर्शन किया तोड़ फोड़ जाम हुआ मगर नतीजा ढाक के तीन पात| जिले के अफसर गए उन्हें रजिस्टर तक नहीं मिले| उल्टा बच्चो के ही खिलाफ मुकदमे लिखे गए और उससे बरी होने के लिए उनके माँ बाप को पुलिस को चौथ चढ़ानी पड़ी| या फिर यूं कहें मामला रफा दफा हो गया| सिटी पब्लिक डिग्री कॉलेज के छात्रो ने प्रक्टिकल और अवैध फीस के खिलाफ हंगामा डीएम दफ्तर पर किया जाम लगाया| कॉलेज प्रबधक डी एम दफ्तर बुलाये गए मगर अंतिम नतीजा ये था कॉलेज प्रबधन ने परिणाम खराब होने का भय दिखा कर बच्चो से लिखाकर ले लिया कि कोई गड़बड़ी नहीं हुई केवल निर्धारित फीस ली गयी| पिछले ही वर्ष महाराजा हरिश्चंद्र डिग्री कॉलेज बढ़पुर के छात्रो ने भी हंगामा किया जाँच एस डी एम साहब के साथ तहसीलदार साहब को मिली अवैध फीस वसूली की| मालूम है कितने हनक वाले साहब थे| नाम सुनेगो तो खुद याद आ जायेगा, हरिशंकर| नाम के अनुसार भगवान् थे और वो भी सबसे बलवान शिवजी मगर कॉलेज प्रबंधन से फीस के रजिस्टर तक नहीं ले पाए जाँच के लिए|अपने अधिकारों का तो प्रयोग करने में जैसे….| हाँ साहब का बेटा भी एक कॉलेज में बी एड कर रहा था, निशुल्क नक़ल अलग कमरे में बिठा कर करा दी प्रबन्धन ने| बस जाँच चलती रही परीक्षा हो गयी| बच्चे प्रदेश भर के अलग अलग जनपदों के थे चले गए| कुल मिलकर टाय टाय फिस्स..|

खुद क्यूँ नहीं चले गए कॉलेज तुरंत जाँच करने?
कुल मिलकर बात ये है कि किसी भी प्रकार की नाइंसाफी के खिलाफ उठी आवाज में जिले के अफसर न्याय क्यूँ नहीं दिला पाते| इन अफसरों के निजी हित से जुड़ा मामला हो तो उसमे देर नहीं लगती| समय से सब होता है| मगर आम जनता के लिए जाँच जैसे टाइम पास आइटम के भरोसे नौकरी क्यूँ करते है ये अफसर| वैसे टीवी कैमरे पर तो नगर मजिस्ट्रेट ने बड़े जोर शोर से दावा किया कि उनके रहते अवैध फीस नहीं वसूली जाएगी| मगर इसके लिए जाँच दूसरे को क्यूँ दी| खुद क्यूँ नहीं चले गए कॉलेज? हाथ के हाथ दूध का दूध पानी का पानी हो जाता| इन्साफ दिलाना होता तो ये सबसे अच्छा जरिया था| अब जुर्म करने वाले को सबूत मिटाने का हथियार जाँच दे दिया है| जाहिर है जो गरजते है बरसते नहीं| ये जो कॉलेज वाले है जो चाहेंगे वही करेंगे| ज्यादा हंगामा होगा तो कुछ खर्च पानी हो जायेगा, इससे ज्यादा कुछ नहीं बिगड़ेगा| पहले बसपा के मंत्रियो तक नजराना पहुचता था अब सपा के मंत्रियो तक पहुच जायेगा| कोई नयी बात नहीं| बस चिल्लाते रहो| न बच्चे घूस/अवैध फीस की रसीद दिखा पाएंगे न जुर्म साबित हो पायेगा| अरे ये कॉलेज चलाते है कोई धर्माध संस्था नहीं जो अवैध काम नहीं करेंगे| इनके कोई कल कारखाने तो चलते नहीं है जहाँ से पैदा करके ये समाजसेवा करेंगे| बच्चो का ही खून चूसेंगे और अफसर नेताओ को भी उसी में से हिस्सा देंगे|