लखनऊ। यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने अपनी संपत्ति की घोषणा कर साफ-सुथरी और पारदर्शी सरकार देने की पहल की लेकिन एक मंत्री के अलावा अन्य किसी ने इस अभियान में उनका साथ नहीं दिया। यही नहीं कैबिनेट मंत्रियों ने अभी तक अपने विभाग के राज्य मंत्रियों के बीच काम का बंटवारा तक नहीं किया है।
मु यमंत्री ने पिछले 27 मार्च को अपनी संपत्ति की घोषणा कर दी। उन्होंनें अपनी पूरी संपत्ति राज्य सरकार के वेबसाइट पर डाल दी है। उनके अलावा समाज कल्याण राज्य मंत्री नरेन्द्र कुमार वर्मा ने अपनी संपत्ति घोषित की है। पार्टी सूत्रों के अनुसार मु यमंत्री ने सभी कैबिनेट और राज्य मंत्रियों को संपत्ति घोषित करने को कहा है।
हालांकि नामांकन पत्र दाखिल करते समय सभी प्रत्याशी अपनी संपत्ति का हलफनामा देते हैं लेकिन मुख्यमंत्री की पहल के बाद भी मंत्रियों ने अभी तक संपत्ति सार्वजनिक नहीं की।
वहीं मुख्यमंत्री ने पिछले 18 मार्च को ही अपने 19 कैबिनेट और स्वतंत्र प्रभार के चार मंत्रियों के बीच काम का बंटवारा कर दिया है। इसके अलावा 24 राज्य मंत्री भी बनाये गये हैं। मुख्यमंत्री के पास जो 61 विभाग हैं उनके पांच राज्य मंत्रियों फरीद महफूज किदवई, अभिषेक मिश्रा, शिव प्रताप यादव, मूलचंद चौहान और राममूर्ति वर्मा को उनके विभाग के काम दे दिये गये हैं जबकि कैबिनेट मंत्रियों से जुडे राज्य मंत्रियों की स्थिति अभी थोड़ी अलग है।
निर्दलीय विधायक तथा राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति तथा जेल मंत्री रघुराज प्रताप सिंह से जुड़े दो राज्य मंत्री इकबाल महमूद और रामपाल राजवंशी हैं लेकिन दोनों को अभी तक यह पता नहीं है कि उन्हें काम क्या करना है। सिंह ने अपने दोनों राज्य मंत्रियों के बीच अभी तक काम का बंटवारा नहीं किया है। ठीक ऐसा ही मामला राज्य मंत्री वसीम अहमद तथा कैलाश चौरसिया का है।
बेसिक शिक्षा और बाल कल्याण मंत्री राम गोविंद चौधरी ने अपने इन दोनों राज्य मंत्रियों को काम नहीं बांटे हैं। इसी तरह लोक निर्माण और ङ्क्षसचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने, शहरी विकास मंत्री आजम खां ने भी कार्यों का बंटवारा नहीं किया है। राज्य मंत्रियों को काम नहीं दिया जाना कोई नयी बात नहीं है। इससे पूर्व मायावती के कार्यकाल में भी राज्य मंत्रियों को विभाग के काम नहीं दिये गये थे।