छात्रवृत्ति में घपले रोकने को अब बनेगी छात्रों की यूआईडी

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समाज कल्याण विभाग की ओर से दी जानेवाली छात्रवृत्ति और फीस प्रतिपूर्ति में घपले-घोटाले रोकने के लिए अब लाभार्थियों को यूआईडी (यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर) दिए जाएंगे। विभाग ने यह पहल इसलिए की है ताकि एक ही छात्र द्वारा कई संस्थानों से लाभ लेने जैसी शिकायतों को रोका जा सके। इसके साथ ही इन योजनाओं के लिए अब शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी जवाबदेह बनाया जाएगा।

छात्रवृत्ति और फीस प्रतिपूर्ति में घपलों को रोकना समाज कल्याण विभाग के लिए हमेशा एक बड़ी चुनौती रहा है। शासन की तमाम कोशिशें अधिकारियों और शिक्षण संस्थाओं के काकस के आगे असहाय साबित होती रही हैं। अलीगढ़ के समाज कल्याण अधिकारी रिंकू सिंह का मामला इसका उदाहरण है। विभागीय अधिकारी स्वीकार करते हैं कि उच्च शिक्षण संस्थाओं फीस प्रतिपूर्ति के मामलों में कई शिकायतें सामने आई हैं। ऐसी भी शिकायतें है जिसमें संस्थाओं ने छात्रों से फीस भी ली और शासन से भेजा गया फीस प्रतिपूर्ति का पैसा भी रख लिया। पिछले साल ऐसे ही मामलों में गाजियाबाद और लखनऊ के दो-दो कालेजों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इसके बाद दो दर्जन से अधिक जिलों में सत्यापन के लिए विशेष टीमें भेजी गईं, लेकिन उनकी जांच रिपोर्ट अभी तक पूरी न हो सकी। इसके बाद शासन ने यह आदेश पारित किया कि छात्रों के खाते खुलवाकर पैसा उनमें ट्रांसफर किया जाए। लेकिन शैक्षणिक संस्थाओं ने इस पर स्थगनादेश हासिल कर लिया। इसके बाद से व्यवस्था जस की तस चल रही है।

समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव सदाकांत के अनुसार यदि छात्रों को यूनिक आईडी नंबर अलाट हो जाएगा तो कंप्यूटर में फीडिंग के दौरान ऐसे मामले आसानी से पकड़ में आ जाएंगे जो कई संस्थाओं से फीस प्रतिपूर्ति या छात्रवृत्ति ले रहे हैं। सिस्टम को और पारदर्शी बनाने के लिए अब इसमें उन विभागों को भी शामिल किया जाएगा जिन्हें छात्रवृत्ति दी जा रही है। मसलन बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक और उच्च शिक्षा विभाग को भी लाभार्थियों के चयन के लिए जवाबदेह बनाया जाएगा। अभी तक पूरी जिम्मेदारी समाज कल्याण विभाग के ही अधिकारियों पर है।