फर्रुखाबाद: सपा में अब असली बनने की होड़ लगी है। नए लोग उनसे आगे न आ जाएँ इसकी चिंता उन लोगों को जो कुंडली मारे मठाधी कर रहे हैं। सत्ता में आने के साथ ही पार्टी के दिन क्या बहुरे अब संगठन पदाधिकारियों को कोई नहीं पूंछ रहा है। व्यवसायिक शिक्षा राज्य मंत्री के स्वागत समारोह में तो यही नज़ारा देखने को मिला। मुख्य मत्री के आदेश के बावजूद सड़कों के किनारे तिराहे-चौराहों पर बड़े नेताओ के साथ सपाइयों के फोटो छपे बैनर सीना ताने खड़े हैं।
नदीम, विक्रांत अवस्थी, चाँद खान, उमेश यादव, डॉ हरिनंदन यादव, डॉ हरिओम यादव, राकेश यादव, सोनू मिश्र, राजीव गुप्ता पर निष्ठावान सपाइयों की निगाहे
शहर में सपा बुरी तरह चुनाव हारी लेकिन प्रदेश में सपा सरकार बनने के बाद लोग सपाई बिल्ला लगाने के लिए नयी-नयी जुगत कर रहे हैं। इनमे वे लोग भी हैं जो कभी सपा में हुआ करते थे। लेकिन जब आन्दोलन का वक्त आया तब वे तत्कालीन सत्ता के साथ जुड़ गए। अब उन्हें अपने पुराने दोस्त नज़र आ रहे हैं। पर वे जिनसे वे सिफारिश लगा रहे हैं उन्हें तो अपने भविष्य की चिंता है। कभी महानगर सपा के कोषाध्यक्ष और युवजन सभा के पूर्व महानगर अध्यक्ष ऐसा ही कर रहे हैं। लेकिन इस समय जमे उनके साथी उन्हें छिटक रहे हैं| महानगर अध्यक्ष इन दिनों कभी अपने उपाध्यक्ष रहे विक्रांत अवस्थी से खासे नाराज हैं। विक्रांत मुलायम सिंह यादव की मीटिंग में भाषण देने तो पहुंचे पर निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ कदम ताल करते रहे। पर चाँद खान स्वयं ऐसे युवा नेता के साथ राज्य मंत्री की कोठी पर देखे गए जो चुनाव में कभी बसपा और कभी कांग्रेस के साथ रहा। पता चला है कि चाँद खान ने भी 10 भितरघातियों की सूची नेतृत्व को भेजी है। सत्ता में वापसी के बाद पदाधिकारी अपने संघर्ष के दिन याद दिला रहे हैं पर अवसरवादी लोग माहौल में जगह बनाने में लगे हैं। राज्य मंत्री के स्वागत समारोह के कार्यक्रमों में अभी तक पदाधिकारियों से मिलने के लिए कोई वक्त नहीं निकला गया है।
संघर्ष के दौर में निजी फायदे के लिये समाजवादी पार्टी को छोड़ कर जाने वालों की कमी नहीं है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण नाम तो पूर्व सपा जिलाध्यक्ष नदीम फारूकी का है। कभी सपा में रहते नगर पंचायत शमसाबाद के चेयरमैन रहे, व प्रदेश में सत्ता बदलने के बाद नगर निकाय चुनावों में सत्तारूढ दल से टिकट की उम्मीद पर पार्टी छोड़ गये थे। मगर फिजा बदलते देख चुनाव से पूर्व ही सपा में वापस आ गये थे। पूर्व छात्र सभा अध्यक्ष उमेश यादव भी बीच में पार्टी छोड़ गये थे। पूर्व जिला सचिव हरिनंदन सिंह यादव जनक्रांति पार्टी से दोवार सपा में वापस आ गये हैं। पूर्व प्रदेश सचिव डा. हरिओम यादव भी बीच में पार्टी छोड़ चुके हैं। सपा ब्राह्मण सभा के पूर्व अध्यक्ष सोनू मिश्रा भी भाजपा में चले गये थे। पूर्व नगर अध्यक्ष कायमगंज राजीव गुप्ता भी अब बसपा से वापस सपा में आ गये हैं।
कभी सत्ता में बाहर रहने के बावजूद सपा के आंदोलनों में जान फूंकने वाले सपाई अब दलबदलुओं की इस भीड़ में किनारे खड़े नजर आ रहे हैं। वयोवृद्ध नेता ग्रीशचंद्र कटियार का उपयोग तो अब केवल मंचीय शो-पीस के तौर पर ही होता है। थू-थू दिवस से गोबर केक तक के आंदोलनों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने वाले रंजीत चक , विश्वास गुप्ता, रजत क्रांतिकारी, पुष्पेंद्र यादव, सुष्मा जाटव आदि अब संगठन की ओर उम्मीद से देख रहे है।