रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी अपने पहले रेल बजट में सभी प्रकार के यात्री किराये की दरों में मामूली सही परंतु वृद्धि कर दी है। वित्तीय संकट से गुजर रहे विश्व के दूसरे सबसे बड़े रेल नेटवर्क के लिए धन जुटाना त्रिवेदी के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया था। विगत नै वर्षों में पहली बार रेल किराये में वृद्धि के संकेत शुरू से ही मिल रहे थे।
त्रिवेदी रेल मंत्री के रूप में पहली बार रेल बजट पेश किया। यात्री भाड़े में वृद्धि को लेकर बजट पर सबकी नजरें थीं। पिछले नौ सालों से यात्री भाड़े में वृद्धि नहीं हुई है और रेलवे के हालात को देखते हुए इस बात की आशंका पहले ही थी, कि इस बार यात्री भाड़े में वृद्धि हो सकती है। इस बाबत रेल मंत्री भी पहले संकेत दे चुके थे। रेल मंत्री द्वारा प्रस्तुत रेलबजट में प्लेटफार्म टिकट का मूल्य तीन रुपये से बढ़ा कर पांच रुपये कर दिया गया है। एसी प्रथम दर्जे का किराया पांच पैसा प्रति किलोमीटर, एसी सेकेंड क्लास का पंद्रह पैसा, एसी थर्ड का दस पैसा, स्लीपर क्लास का पांच पैसा, एकसप्रेस सेकेंड क्लास का तीन पैसा व जनरल क्लास का दो पैसा प्रति किलोमीटर बढ़ाया गया है।
श्री त्रिवेदी ने बजट में 75 नयी ट्रेनों के चलाने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए 5.6 लाख करोड़ की जरुरत है। आधुनिकीकरण के लिए उच्च स्तरीय कमेटी का गठन होगा। काकोदकर समिति की सिफारिशों पर ध्यान दिया जाएगा। रेलवे रिसर्च एंड डेवलपमेंट काउंसिल का गठन किया जाएगा। रेलवे के बुनियादी ढाचे के लिए 2.5 लाख करोड़ की जरूरत होगी। 12वीं योजना में 7.35 लाख करोड़ का निवेश होगा। सीमावर्ती इलाकों में रेलवे को बेहतर बनाने पर जोर दिया जायेगा। पांच वर्षों में मानव रहित क्रॉसिंग खत्म करने के लिए कंपनी बनेगी। रेलवे को 10 फीसदी सरकारी अनुदान मिलना चाहिए। हादसे रोकने के लिए नई किस्म के डिब्बे लगाए जाएंगे। स्टेशन विकास निगम में 50000 नौकरी लगेगी। ट्रेनों में 3500 आरपीएफ के जवानों की तैनाती होगी।
रेलवे को पिछले साल 20 हजार करोड़ रुपये की बजटीय सहायता दी गई थी। छह फरवरी को केंद्रीय वित्ता मंत्रालय ने 3000 करोड़ रुपये के ऋण को मंजूरी दी थी। लेकिन खराब वित्ताीय प्रबंधन के कारण भारतीय रेल की आय में 7000 करोड़ रुपये की कमी आई। हाल ही में दो विशेषज्ञ समितियों ने कहा कि सुरक्षा और आधुनिकीकरण से संबंधित उनकी सिफारिशों को लागू करने के लिए रेलवे को अगले पांच सालों में लगभग नौ लाख करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। रेलवे की चिंता यह है कि इसकी पूरी कमाई इसके संचालन पर ही खर्च हो जाती है। जिसके कारण इसके विस्तार के लिए कोई जगह नहीं बचती है।