फर्रुखाबाद: जनपद में वोट पड़े एक सप्ताह होने को है मगर चुनावी बुखार अभी उतरने का नाम नहीं ले रहा है| प्रत्याशियो के कम्पूटर पर बूथ वार वोटरों के ठेकेदार या कहें बूथ कार्यकर्ता के नाम फोन के साथ दर्ज है| इन्तजार 6 मार्च का है जब वोट खुलेंगे| कई प्रत्याशियो ने बाकायदा चिन्हित करना शुरू कर दिया है की किसने की गद्दारी और किसने उल्लू बनाया| कौन ईमानदारी से साथ रहा और कौन दो दो पाले में| डान ने तो बाकायदा एक आध के कान गरम भी कर दिए है| समर्थक चर्चा के दौरान बाते कर रहे है- भैया हेलमेट खरीद लो या खोपड़ी पर तवा बाँध लो, वोट नहीं निकले तो … टूटना तय समझो|
चर्चा है अमृतपुर विधानसभा में एक खानदानी ने चीनी, साड़ी, तेल बाट डाला| दूसरे प्रत्याशी ने शराब, नोट, क्रिकेट किट और जाने क्या क्या बाटा| तीसरे प्रत्याशी ने भी शराब बाट दी| नगर फर्रुखाबाद की सीट पर एक प्रत्याशी ने रातो रात करोडो बाट डाले| प्रधानो को 50-50 हजार भेजे गए| ये रुपया बस्ते के रुपये के इतर रहा| खबर है चुनाव में एक ठेकेदार ने न केवल पैसे देकर पूरे चुनाव में भीड़ जुटाई बल्कि अपना बजट 3 करोड़ को पार दिया| बहती गंगा में कार्यकर्ताओ की जगह ठेकेदारों ने खूब हाथ धोये| प्रधान, बीडीसी सदस्य सहित छोटे मोटे नेता भी बिके| कई तो कई कई जगह बिक गए| अब 6 तारीख तक यही ठेकेदार अपने अपने प्रत्याशियो को भारी बहुमत से जिता रहे है| हाथी वाले प्रत्याशी तो 35 हजार से अपनी जीत का दावा कर रहे है तो भाजपा वाले अंडर करंट के वोट गिना रहे है| साइकिल वाले तो सरकार बनने पर अपने विधायक का मंत्र्यालय तय करने में लगे है| वहीँ अलमारी (जन क्रांति पार्टी) वाले प्रत्याशी 4 में से तीन सीट पक्की मान बैठे हैं| जीत कांग्रेस वाले भी कर रहे है| 4 में से तीन सीट उनकी भी निकल रही है| समर्थक अपने अपने वोट गिना रहे है और प्रत्याशियो को धैर्य बंधा रहे है| मगर जो अकाट्य सत्य है वो है सीट तो केवल चार है और विधायक भी केवल चार बनेगे| बाकी सब भ्रम और वोटरों की माया है| समर्थक इस मायाजाल से प्रत्याशी को बाहर निकलने नहीं देना चाहता और प्रत्याशी बाहर नहीं निकलना चाहता| इसी में दोनों का मोक्ष लगता है|
चुनाव में वोट पड़ चुके है, शराबी मतदाताओ की शराब उतर चुकी है, जिससे मिलते है उसी की जीत का दावा कर रहे है| शतरंज की चल की तरह हर प्रत्याशी अपने कम दूसरे के आंकड़े गिनने में ज्यादा लगा है| गणित अभी भी वही चल रही है कितने ठाकुर, कितने लोधी, कितने यादव, कितने ब्रह्मण, कितने शाक्य, कितने कुर्मी, कितने मुसलमान और जाने कितने क्या क्या| मतदाता चतुर और होशियार हो गया है ये मानने को अभी भी तैयार नहीं है नेता| उनका मानना है जनता बिरादरी पर मरती है| 6 तारीख के बाद माहौल बदल जायेगा| 64 प्रत्याशियो में से केवल 4 होली मनाएंगे बाकी क्या करेंगे भगवन ही मालिक| पैसा तो सब का खर्च हो गया| पतंग हो या बाल्टी, अलमारी हो या साइकिल सबने दिल खोल कर खर्च किया है| अब खर्च का पैसा कैसे वापस आएगा इस का गुना भाग भी लग रहा है| एक प्रत्याशी ने 10 बीघा खेत गिरवी रखा तो दूसरे ने अपने एक काले धन के सम्राट रिश्तेदार से उधर लेकर चुनाव चुनाव खेल लिया| वोट मांगते समय जिसके पाँव बिना मुह देखे ही छू लिए थे हारने के बाद गालिओं के लिए तैयार रहे| वोटर सा..साला बहुत हरामी है ये जुमला बहुतायत में निकलने वाला है|