फर्रुखाबाद में बहुकोणीय मुकाबले नहीं, सीधे सीधे होंगे मुकाबले-2

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गतांक से आगे-
फर्रुखाबाद का अधिकांश मतदाता जागरूक है| मगर नेता खास कर पिछड़े वर्ग के नेता अपने सजातीयों को वोट बैंक को न केवल वोट बैंक के रूप में देखता है बल्कि उसकी सोच ये भी है कि पिछड़े वर्गों के लोग जागरूक नहीं है| यही सोच उनकी आँखों पर चश्मा चडाने के लिए काफी है| जिले का कोई भी नेता शिक्षा की और कोई ध्यान नहीं देता| किसी भी समाज या देश की तरक्की का सबसे बड़ा कारक शिक्षा नेताओ के लिए जानबूझकर अहमियत नहीं रखती| बात साफ़ है जिले का कोई नेता नहीं चाहता कि बच्चे पढ़े और जागरूक हो| नेताओ का प्रयास केवल इतना है कि लोग साक्षर हो जाए, मतलब केवल हस्ताक्षर करना सीख जाए बस| शिक्षा के मंदिर चलाने वाले शिक्षा का व्यवसाय कर रहे है और केवल मजदूर और ज्यादा से ज्यादा बाबू पैदा कर रहे है| ऐसे बाबू जो घूसखोरी के लिए नौकरी करना चाहते है| सिर्फ डिग्रियां बाटने वाले शिक्षा के सरकारी और गैर सरकारी दोनों जगह नेताओ परोक्ष रूप से हस्तक्षेप रहता है|
गौर करने वाली बात ये है कि जिले में 4 सीट विधानसभा की है| चारो सीटो पर 16-16 प्रत्याशी मिलकर 64 लोग विधायक बनना चाहते है| मगर क़ाबलियत और हिम्मत का आलम ये कि इनमे से एक भी ऐसा प्रत्याशी नहीं है जो अपने मोहल्ले या गाँव के कोटेदार से आम आदमी को ईमानदारी से राशन तक दिलवा सके| सबके सब इस मामले में एक तराजू में तौलने लायक है| सारे के सारे नेता जात और धर्म के नाम पर वोट मांग रहे है| मगर कुछ जनता ऐसी भी है जो इन सब मामलो से ऊपर उठकर फर्रुखाबाद में सोचती है और वही निर्णायक वोट होता है किसी को हारने और जिताने के लिए| ये “कुछ” जो है वो 25 से 30 प्रतिशत के बीच होती है| कुएं के मेढक की तरह सोच रखने वाले इस बात से शायद इत्तिफाक न रखते हो|

बात करते है फर्रुखाबाद की कायमगंज विधानसभा की| वर्तमान विधायक बहुजन समाज पार्टी की टिकेट पर जीते कुलदीप गंगवार| दलित कुर्मी समीकरण के सहारे जीते थे| परसीमन हुआ समीकरण गड़बड़ा गया ऊपर से सीट सुरक्षित हो गयी सो चले गए अमृतपुर विधानसभा से लड़ने| अंत समय पर बसपा ने टिकेट काट दिया सो कांग्रेस से टिकेट ले आये| अब उनकी जगह बसपा के एम्एलसी सतीश जाटव ने अपने बेटे को टिकेट दिलाया है| नौसिखिया और बचकाने की उम्र में विधायक बनने की कतार में हैं| राजनीती की शुरुआत फतेहगढ़ में आई सी आई सी आई बैंक में एक कैशियर के साथ मारपीट करके की थी| मारपीट के द्रश्य कैमरे में कैद हो गए थे| बसपा की सर्कार थी पिताजी की वजह से लखनऊ की सरकार ने बम्बई तक पैरवी कर मामला सुलटाया| जनता की सवा का कोई रिकॉर्ड नहीं| बसपा के पिछले पांच साल के काम और कुलदीप के वादों का हिसाब जनता अनुराग से मागेगी| पांच साल तक कायमगंज में बसपा कार्यकर्ताओं, पदाधिकारी और विधायक के कई रिश्तेदार जो सरकारी स्कूलों में 25-25 हजार के वेतन भोगी मास्टर है स्कूल में ईमानदारी से पढ़ाने नहीं गए कुछ तो घर बैठे वेतन लेते है आज भी| क्या दलित और गरीब के बच्चे को शिक्षा से ज्यादा कुछ नहीं चाहिए? मगर बसपा के किसी एक नेता या कार्यकर्ता ने न सवाल उठाया और न ही कोशिश की| कांशीराम आवास योजना के मकान के लिए रिश्वतखोरी चरम पर रही| और कायमगंज क्षेत्र में एक कुर्मी की बिटिया की बसपा से जुड़े दलितों द्वारा बलात्कार के बाद हत्या करना उसके बाद विधायक द्वारा उन लोगो को बचने के आरोप का खामियाजा भी बसपा के अनुराग को झेलना है| फ़िलहाल तो कायमगंज में बसपा दौड़ में बहुत पीछे है|

29 प्रतिशत मुसलमानों के होने का शिगूफा?
कायमगंज में 29 प्रतिशत मुसलमान है ये ख़ुफ़िया विभाग की रिपोर्ट है| अन्दर की बात ये है कि फर्रुखाबाद की खुफिया ने रिपोर्ट जो बनायीं थी बसपा के टिकेट के चाहने वालो के हिसाब से बनायीं थी| इस मामले में विधायको और टिकेट के दावेदारों ने ख़ुफ़िया का इस्तेमाल किया ताकि बहन जी के पास उनके अनुकूल होने के आंकड़े पहुचे| खुफिया के सभी जातीय आंकड़े लगभग झूठे है| झूठे और वादाखिलाफी की चादर ओढ़े जात के सहारे नैया पार लगाने वाले की सोच इससे ज्यादा कुछ और हो नहीं सकती| समाजवादी पार्टी ने अजीत कठेरिया को चुनाव मैदान में उतारा है| अजीत को बेस वोट बैंक यादव और कठेरिया समाज है| अभी तक विधायक या कोई जनप्रतिनिधि नहीं रहे है लिहाजा कोई नकारात्मक चर्चा नहीं है| मगर कितना किसके लिए कर पाएंगे इस बात पर उन्हें वोट मिलने है| कायमगंज में मुसलमानों की एक बैठक जिसे सपा के नेता और शमसाबाद के चेयरमेन नदीम फारूकी ने आयोजित कराया था अजीत कठेरिया को समर्थन दिलाने के लिए, उसी बैठक में एक मौलाना ने कहा था- दुश्मन एक दूसरे के सब है और मुसलमानों के सब दुश्मन है और जो कमजोर दुश्मन हो उसे चुनना ठीक रहेगा| मौलाना की इस बात पर तो ताली बजी थी| ताली इस बात पर भी बजी थी कि एक मुसलमान सुहैल खान की पत्नी लक्ष्मी रीटा जो लोकमंच की पार्टी से चुनाव मैदान में है वो जीत रहा हो तो भाजपा को हराने के लिए मुसलमान वोट उसे दे दे| कुल मिलाकर सुहैल मुसलमानों के वोट करने में कामयाब होते भी दिखे मगर दमदारी बरक़रार रही तो तीसरा भी दमदार होगा वर्ना टक्कर किसी कि भी हो भाजपा से ही कड़ा मुकाबला होगा| भाजपा से अमर सिंह खटिक चुनाव मैदान में है| एयर फ़ोर्स से रिटायर फौजी| कुछ कर गुजरने की तमन्ना मगर पैसे से कमजोर| पैसे की कमजोरी की भरपाई की कमान भाजपा की कद्दावर महिला नेत्री और बड़े व्यापारिक घराने की मिथलेश अग्रवाल ने संभाल ली है चुनाव मजबूत हो चला है| लिहाजा कायमगंज में भाजपा से ही सीधा मुकाबला होना तय है टक्कर में लोकमंच की लक्ष्मी रीटा आये या फिर समाजवादी पार्टी के अजीत कठेरिया| कांग्रेस की शकुन्तला गौतम की चर्चा गाहे बगाहे होती रही है| प्रत्याशी को न बोलना आता है और न ही कोई अजेंडा| पूछने पर सिर्फ रटा रटाया कहती है विकास करना है| क्या विकास करना है इस पर मुस्कराहट के साथ खामोश हो जाती है| भीड़ बढ़ाने और सिर्फ नारे लगाना जानने वाले जब टिकेट पाएंगे तो विधानसभा में जनता के लिए क्या करेंगे मालूम नहीं| सलमान खुर्शीद के गृह इलाके से है|

अगले अंक में पढ़िये सदर विधानसभा फर्रुखाबाद के मुकाबले-

नोट- इस लेख में मेरी निजी राय और अनुभव का संकलन है| ये जरुरी नहीं कि आप यानि पाठक इससे इत्तेफाक रखे| आप अपनी प्रतिक्रिया बड़ी ही शालीनता और अच्छी भाषा में कडुआ भी देने तो हम प्रकाशित करेंगे मगर प्रतिक्रिया के साथ उसके विस्तृत कारण भी जरुर लिखे| अभद्रता पूर्वक भाषा की टिप्पणी कूड़े के ढेर में फेकना हमारी मजबूरी होगी|
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