विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मतदान की समाप्ति के बाद जहां हार-जीत की समीक्षा जोरों पर है वहीं बूथवार मतगणना के चलते वोट दिलाने के नाम पर ठेकेदारी करने वालों को पसीना छूटने लगा है।
सियासी घमासान में कई ऐसे क्षेत्र रहे जहां खूब नकदी चलने की खबर है। वोट दिलाने के नाम पर जनता को रुपये बांटने का जिम्मा लेने वाले वे ‘ठेकेदार’ खासे परेशान हैं जिनका मतदाताओं पर कोई असर नहीं दिखा। दिलचस्प तो यह है कि कुछ ऐसे भी बिचौलिये रहे जिन्होंने रुपयों को बांटने की जहमत ही नहीं उठाई और उसे अपनी आदमनी समझ बैठे। बताया जाता है कि वोट दिलवाने के नाम पर इन वोट के ठेकेदारों ने खर्चो के नाम पर कई प्रत्याशियों से मोटी रकम वसूली। लेकिन मतदाताओं के नाम पर पैसा लेकर उन्हें न देने के फलस्वरूप हकीकत सामने आने के डर से उनके चेहरे पर पसीना आना शुरू हो गया।
प्रमुख प्रत्याशियों द्वारा या तो खुद या अपने खासमखासों द्वारा बूथवार या क्षेत्र विशेष में दिये गये धन के बारे में व्योरा तैयार रखा है। किस क्षेत्र में उन्हें कितने मत मिले इसका भी रिकार्ड रखने का प्रयास तेज हो गया है। अब यदि ‘प्रत्याशी’ की जीत हो गयी तब तो मामला ठीक ही रहेगा लेकिन यदि हार हुई तो हिसाब देना तय समझ अभी से तमाम वोट के ठेकेदारों ने कोई रास्ता ढूंढ निकालने की कवायद शुरू कर दी है। सर्वाधिक परेशानी दबंग किस्म के प्रत्याशियों के यहां विगत एक माह से मौज काट रहे समर्थकों को है।