टीईटी घोटाला: क्यों सूंघ गया है शिक्षा विभाग के अफसरों को सांप???

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टीईटी (अध्यापक पात्रता परीक्षा) में पैसे लेकर अभ्यर्थियों को पास कराने के मामले में निदेशक संजय मोहन की गिरफ्तारी के बाद विभाग के कई अन्य अफसरों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। जांच की आंच उन अन्य अफसरों को भी झुलसा सकती है जो परीक्षा की प्रक्रिया में सीधे तौर पर शामिल थे। उनसे कभी भी पूछताछ की जा सकती है। सवाल यह है कि टीईटी मामले में संजय मोहन की गिरफ्तारी के बाद शिक्षा विभाग के अफसरों को सांप क्यों सूंघ गया है। अधिकारी इस मसले पर बात करने से बच रहे हैं।

 

सूत्रों के अनुसार अभियुक्तों से पूछताछ में एसटीएफ को कई और अफसरों के बारे में जानकारी मिली है। अब वह ऐसे अधिकारियों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। पूरे प्रकरण का राजफाश होने के बाद यह तथ्य भी अहम हो गया है कि किस दबाव में यूपी बोर्ड ने परीक्षा कराने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ली। गौरतलब है यूपी बोर्ड पहले इस परीक्षा के आयोजन के लिए तैयार नहीं था। तत्कालीन शिक्षा मंत्री रंगनाथ मिश्र ने इस परीक्षा के आयोजन की सहमति इसलिए नहीं दी थी कि इससे बोर्ड परीक्षा की तैयारियों को नुकसान पहुंच सकता है। हालांकि बाद में इसके लिए रजामंदी दे गई थी।

 

एसटीएफ ने इस मामले में अब तक बहुत ठोस ढंग से कदम उठाए हैं। दिसंबर माह में जब पहली बार अभियुक्त पकड़े गए थे, तब से इस मामले से जुड़े अन्य अभियुक्तों पर नजर रखी गई और पर्याप्त साक्ष्य मिलने के बाद ही उन्हें पकड़ा गया। एसटीएफ के अधिकारी संजय मोहन से भी इस बारे में कई बार पूछताछ कर चुके थे और फरवरी माह में उनकी गिरफ्तारी की फैसला किया गया। संजय मोहन माध्यमिक शिक्षा परिषद के चेयरमैन के रूप में परीक्षा से सीधे जुड़े हुए थे हालांकि आयोजन की जिम्मेदारी इलाहाबाद स्थित यूपी बोर्ड के कार्यालय पर थी। कापियां जांचने से लेकर परिणाम तक सारे निर्णय वहीं हुए। अब जिन अधिकारियों पर निगाह है उनमें शिक्षा निदेशालय, यूपी बोर्ड के साथ ही बेसिक शिक्षा विभाग के भी कुछ अधिकारी शामिल हैं। एसटीएफ संजय मोहन के उन करीबी अफसरों पर भी ध्यान केंद्रित किए हुए है जो परीक्षा प्रक्रिया से तो नहीं जुड़े थे, लेकिन अभियान का हिस्सा थे।