सुप्रीम कोर्ट के मोर्चे पर आर्मी चीफ हार गये अपने सेवाकाल की आखिरी जंग

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सुप्रीम कोर्ट से सेनाध्यक्ष जनरल वी के सिंह को शुक्रवार को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सेनाध्यक्ष की अर्जी खारिज कर दी है।  सेनाध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी अर्जी वापस ले ली है। अर्जी वापस लेने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मामला खत्म कर दिया है। सरकार के भरोसे के बाद जनरल वी के सिंह ने अर्जी वापस ले ली है।

 

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने एक अहम फैसले में सेना प्रमुख वीके सिंह को बड़ा झटका दिया। उम्र विवाद पर सुनवाई के दौरान शीर्ष कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस संबंध में अब तक जो किया, वह सही किया है। सुप्रीम कोर्ट ने जनरल वीके सिंह के समक्ष अब दो विकल्‍प रखे हैं। पहला- जनरल कोर्ट में दायर अपनी अर्जी वापस लें, दूसरा- अर्जी वापस न लेने पर फैसला सुनाया जाएगा। ऐसे में अब यह तकरीबन स्‍पष्‍ट है कि कोर्ट की ओर से फैसला सुनाए जाने की स्थिति वह उनके विरुद्ध जाएगा।

 

शीर्ष अदालत ने कहा कि जनरल सिंह को वर्ष 2008 तथा 2009 के अपने पत्रों में जन्मतिथि 10 मई, 1950 को मानने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम रहना होगा। साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि जनरल सिंह के साथ कोई पक्षपात नहीं हुआ और सरकार को उन पर पूरा भरोसा है।

 

इससे पहले, सेनाध्यक्ष वीके सिंह की उम्र से संबंधित विवाद की वैधानिक शिकायत पर सरकार ने अपना 30 दिसंबर 2011 का आदेश वापस लिया।  अटार्नी जनरल जीई वाहनवती ने सरकार के फैसले से सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया। अटार्नी जनरल ने कहा कि उम्र विवाद पर जनरल सिंह की याचिका पर सरकार का 21 और 22 जुलाई का आदेश कायम रहेगा।

 

रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने 30 दिसम्बर को एक आदेश जारी किया था जिसमें जनरल सिंह की उस वैधानिक शिकायत को खारिज कर दिया गया था जिसमें कहा गया था कि सेना के रिकार्ड में उनकी जन्मतिथि को 10 मई 1950 नहीं बल्कि 10 मई 1951 माना जाए।

 

जनरल वी के सिंह ने मांग की है कि साल 1951 को उनके जन्म के साल के रूप मान्यता दी जाए। उधर सरकार का दावा है कि सेना प्रमुख का जन्म 1950 में हुआ था। सेना के दस्तावेजों में जनरल सिंह की दो अलग-अलग जन्मतिथि दर्ज है। जनरल सिंह ने अपने जन्म सम्बंधी दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा है कि उनका जन्म 1951 में हुआ था और इस तरह उन्हें मार्च 2013 में सेवानिवृत्त होना है।