फर्रुखाबाद: केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी व यहां सदर विधान सभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी लुइस खुर्शीद की ओर से बसपा प्रत्याशी मो० उमर खान के नामांकन के विरुद्ध दायर आपत्ति दो दिन की लम्बी कशमकश, बहस और माथापच्ची के बाद ख़ारिज हो गयी| लुइस की आपत्ति के पक्ष में जहां दो अधिवक्ता दिल्ली से आये थे वहीं उमर ने आपत्ति का विरोध करने के लिये दो अधिवक्ता इलाहाबाद से बुलाये थे। प्रात: 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक चली बहस के बाद रात 7 बजे रिटर्निंग अफसर ए के लाल ने फैसला जारी किया| फैसले में उन्होंने पीएमजीएसवाई को केंद्र सरकार की योजना मानकर व उमर खां द्वारा आपत्ति के जवाब में संलग्न ठेकों को छोड़ने संबंधी पत्र को आधार मानते हुए लोक प्रतिनिधत्व अधिनियम की धारा 9-A के प्राविधानों को लागू न मानते हुए आपत्ति खारिज कर दी।
विदित है कि कांग्रेस प्रत्याशी लुइस खुर्शीद ने आपत्ति में बसपा प्रत्याशी उमर खां प्रदेश सरकार के अधीन ठेकेदारी करने के आरोप में लोक प्रतिनिधत्व अधिनियम की धारा 9-A के प्राविधानों आधार पर चनाव लड़ने से अयोग्य ठहराते हुए उनका नामांकन निरस्त करने की याचिका की थी। उमर खों के इलाहाबाद से आये अधिवक्ता ध्रुव माथुर व कबीर दीक्षित ने निर्वाचन अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत अपने जवाब में कहा कि अव्व्ल तो उमर खां प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में ठेकेदारी करते थे जो कि प्रदेश सरकार की नहीं बल्कि केंद्र सरकार की योजना है। दूसरे वह अपने सभी ठेकों को छोड़ चुके हैं। आपत्ति पर दाखिल जवाब पर बहस करते हुए दिल्ली से आये अधिवक्ता राकेश खन्ना व मोहम्मद असद ने तर्क रखा कि योजना भले ही केंद्र सरकार की है परंतु इसकों क्रियांवित प्रदेश सरकार कर रहीं है। उमर खां प्रदेश सरकार के ग्रामीण अभियंतत्र सेवा में पंजीकृत ठेकेदार हैं व उन्होंने ठेके भी इसी विभाग के साथ अनुबंध पर प्राप्त किये है, व इसी विभाग के अधिकारी के नाम उन्होंने अपना त्यागपत्र दिया है। दूसरे यह कि इस एक तरफा त्यागपत्र को स्वीकृत नहीं किया गया है व विभागीय वेबसाइट पर यह कार्य अभी भी उमर खां के नाम दर्ज हैं व प्रगति पर दिखाये गये हैं। इस लिये उमर खां को वर्तमान में ठेकेदार मानते हुए उनका नमांकन निरस्त किया जाये।
दोनों तरफ से लगभग तीन घंटों की बहस के बाद निर्वाचन अधिकारी एके लाल ने सायं सात बजे अपने आदेश में पीएमजीएसवाई को केंद्र सरकार की योजना मानते हुए उमर खां को प्रदेश सरकार का ठेकेदार मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने उमर खां की ओर से ठेकों से दिये गये त्यागपत्र को बिना स्वीकृति के ही सर्वोच्च न्यायालय की एक नजीर के आधार पर स्वीकार करते हुए कांग्रेस प्रत्याशी लुइस खुर्शीद की आपत्ति खारिज कर दी व बसपा प्रत्याशी उमर खां का नामंकन वैध घोषित कर दिया।