मायावती द्वारा सम्मानित मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के मेंम्बर हुए बेनकाब- कांग्रेस

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फर्रुखाबाद: मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के फर्रुखाबाद में हुए सम्मलेन को कांग्रेस ने चुनावी झुनझुना करार दिया है| केंद्र सरकार से वार्ता के बाद संतुष्ट हुए मेंबर सलमान खुर्शीद की बढती लोकप्रियता को हजम नहीं कर पा रहे है| कांग्रेस ने फर्रुखाबाद जैसे छोटे से शहर में हुए बोर्ड के जलसे को भी सियासी दाव पेच बताया|

जिला कांग्रेस की और से वसीम जमा खां द्वारा हस्ताक्षरित प्रेस नोट में कहा गया कि 2010 से मुल्क में लागू होने वाले कानून मुफ्त लाजमी तालीम आर० टी० ई० एक्ट के तहत मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की केंद्र सरकार से वार्ता हुई| एक्ट के तहत अकलियतो में जो गलतफहमियां थी उन्हें दूर करने के लिए 14 दिसम्बर 2011 को केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने इस सिलसिले में मरकजी हकुमत का नजरिया वाजे किया| 27 दिसम्बर 2011 को बोर्ड के सेक्रेटरी जनाब मौलाना वाली रहमानी ने सरकार के इस नजरिये की न सिर्फ ताकीद की बल्कि उन्होंने अपने लेटर पैड पर मैडम सोनिया गाँधी को बधाई भी दी और जब यह मसला 14 सितम्बर 2011 को हल हो गया था और उस पर बोर्ड सरकार को बधाई भी दे चूका तो फिर नए सिरे से इस एक्ट के तहत फर्रुखाबाद से सम्मेलन करने की क्या जरुरत पड़ी| कहीं ऐसा तो नहीं कि नजर कहीं और है और निशाना कोई और है या ऐसा तो नहीं कि बोर्ड के वो मेम्बरान जिन्हें बी एस पी ने सम्मानित किया था वो माया की मोहब्बत का इजहार करने के नए तरीके इजाद कर रहे हो| पम्पलेट और पोस्टर के पैराग्राफ से तो यही लगता है कि बोर्ड हुकूकेइस्लामी की आढ़ में मुसलमानों के अन्दर कांग्रेस की नफरत पैदा करके बी एस पी को दिए वचन को पूरा कर रहा है| बोर्ड की एक्टिविटी से यह साबित हो रहा है कि बोर्ड फर्रुखाबाद से कांग्रेस प्रत्याशी मैडम लुईस खुर्शीद को चुनाव हर्वाकर केंद्र में सलमान खुर्शीद के बढ़ते हुए कद को घटाने की मुहिम में जुटा है| जरा आप सोचिये कि सम्मलेन के लिए इतने बड़े उत्तर प्रदेश में सिर्फ फर्रुखाबाद को ही क्यूँ चुना गया इसके लिए प्रदेश में बड़े बड़े नामची शहर थे| जहाँ बोर्ड को उम्मीद से ज्यादा सफलता मिलती| मैडम सोनिया गाँधी को लिखे गए लेटर और कपिल सिब्बल द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण के बाद बोर्ड का असली चेहरा बेनकाब हो चूका है| शहर फर्रुखाबाद के मुस्लमान इस तफरीक को कभी माफ़ नहीं करेंगे|