मजबूरी की मजदूरी: भोजन व 100 रुपये दहाड़ी पर विकलांगों से चुनाव प्रचार

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फर्रुखाबाद, दीपक शुक्ला:  गरीबों मजलूमों और विकलांगों के नाम पर लम्बे-लम्बे भाषण झाड़ने वाले राजनेता चुनाव प्रचार में नैतिकता और मानवता तक को किस प्रकार ताक पर रख देते हैं इसका नजारा चुनाव प्रचार में लगी भीड़ में सम्मलित किसी आम आदमी के दिल में झांक कर ही देखा जा सकता है। कांग्रेस की सदर क्षेत्र से प्रत्याशी लुईस खुर्शीद के जनसम्पर्क में भीड़ बढ़ाने के लिए नुमाइश के तौर पर लाये गये विकलांगों से हमने जब पार्टी प्रत्याशी के प्रति श्रद्धा और समर्थन के विषय में जानना चाहा तो जो हकीकत सामने आयी वह काफी  चौंकाने वाली थी। अधिकांश तो प्रत्याशी का नाम तक नहीं जानते। उनको तो दिन भर नुमाइश व जिंदाबाद के बदले शाम को भरपेट भोजन व सौ रुपये की दहाड़ी की आस रहती है।

विकलांग शकील पुत्र मुजीब निवासी हैवतपुर गढ़िया, नायक अली पुत्र मुख्तार अली निवासी करामत खां मऊदरवाजा, रिंकू पुत्र जमालुद्दीन निवासी नेकपुर चौरासी, मोहम्मद तौफीक अंसारी पुत्र मोहम्मद वसीम निवासी गढ़ी खानखाना, विमल पुत्र बाबूराम निवासी गंगोली मऊदरवाजा, रमन दीक्षित निवासी नाला मछरट्टा आदि ने बताया कि वह लोग भीड़ बढ़ाने के लिए किराये पर लाये गये हैं। प्रति दिन 100 रुपये  की रोजी व साथ में खाना के बदले में प्रत्याशी के जिंदाबाद के नारे लगाना है।

 

उन्होंने बताया कि कई दिनों से वह लोग इनका प्रचार कर रहे हैं। जिससे शाम तक 100 रुपये की मजदूरी दी जाती है। जिसके एवज में वह लोग पूरे दिन प्रत्याशी के पीछे-पीछे अपना रिक्शा चलाते रहते हैं। एक विकलांग ने मुस्कराकर कहा कि बड़े वाहनों पर तो पुलिस रोक लगा देती है व नोटिस जारी कर देती है लेकिन हम लोगों के ऊपर कोई कानून नहीं है। इसी का फायदा प्रत्याशी ले रहे हैं।