विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं शिक्षणेतर कर्मचारियों का फोटोग्राफ सहित सारा डाटा वेबसाइट पर अपलोड कराने में हीला-हवाली पर शासन खफा है। विश्वविद्यालयों को इस संदर्भ में भेजे गए रिमाइंडर में शासन ने स्पष्ट कहा गया है कि जानकारी मानक के अनुरूप नहीं हुई तो कुलसचिव एवं संबंधित कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
शासन ने 7 दिसंबर को पत्र लिखकर विश्वविद्यालयों से अपने शिक्षक-शिक्षणेतर कर्मचारियों का पूरा विवरण (शिक्षण एवं प्रशिक्षण अर्हता, उत्तीर्ण होने का वर्ष, अनुक्रमांक, बोर्ड/विश्वविद्यालय का नाम, पता, गृह जनपद, जन्मतिथि, पदनाम आदि शामिल हैं) विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर जारी करने को कहा था। इसके साथ ही विभिन्न संस्थाओं की ओर से संचालित पाठ्यक्रमों एवं उनकी डिग्री की समतुल्यता का विवरण भी वेबसाइट पर अपलोड करना था।
अधिकतर विश्वविद्यालयों ने जो विवरण उपलब्ध कराया, उसमें शिक्षकों-कर्मचारियों की अर्हता संबंधी जानकारियां छुपाए रखीं। इसके साथ ही पाठ्यक्रमों की समतुल्यता की भी जानकारी नहीं दी गई। शासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। उच्च शिक्षा सचिव ने कहा है कि विश्वविद्यालयों ने अपनी एवं उच्च शिक्षा निदेशक की वेबसाइट पर यदि 31 जनवरी तक यदि पूरा विवरण उपलब्ध नहीं कराया तो विश्वविद्यालय के कुलसचिव तथा जिम्मेदार कर्मचारी के खिलाफ शासन के नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। हर विश्वविद्यालय को वेबसाइट पर उपलब्ध सूचना को प्रत्येक दो माह पर अपडेट भी करना होगा।