उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन [एनआरएचएम] घोटाले में गिरफ्तारियों का सिलसिला शुरू हो गया है। सबसे पहले गिरफ्तार होने वाले अधिकारी उप्र जल निगम की इकाई कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेस [सीएंडडीएस] के महाप्रबंधक पीके जैन हैं। जैन की गिरफ्तारी के बाद राज्य के पूर्व परिवार कल्याण मंत्री बाबूसिंह कुशवाहा की गिरफ्तारी की आशंका बढ़ गई है। ध्यान देने की बात है कि कुशवाहा और जैन दोनों ही एक ही केस में सह आरोपी हैं।
बुधवार को छापे के तत्काल बाद सीबीआइ ने जैन के साथ-साथ राज्य के पूर्व परिवार कल्याण महानिदेशक एवं निजी कंपनियों के मालिकों को पूछताछ के लिए दिल्ली मुख्यालय में हाजिर होने को कह दिया था। गुरुवार को दिल्ली पहुंचते ही सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी इन सभी से पूछताछ में जुट गए हैं। पूछताछ के दौरान पीके जैन के असहयोग को देखते हुए दोपहर में जांच अधिकारियों ने उन्हें गिरफ्तार करने का फैसला किया। जैन को गिरफ्तार कर गाजियाबाद की विशेष सीबीआइ अदालत में पेश किया गया। अदालत ने उन्हें 13 जनवरी तक के लिए सीबीआइ की रिमांड पर भेज दिया है।
जैन के यहां छापे के दौरान जांच एजेंसी को अहम दस्तावेजों के साथ-साथ तीन किलो सोना और एक करोड़ 10 लाख रुपये नकद मिले थे। जैन के साथ बाबू सिंह कुशवाहा दोनों एक ही मामले 134 जिला अस्पतालों के पुनरोद्धार की योजना में हुए घोटाले के आरोपी हैं। सीबीआइ की एफआइआर के अनुसार 13.4 करोड़ की इस योजना में 5.46 करोड़ अधिकारियों एवं ठेकेदारों की जेब में चले गए। घोटाले के दूसरे मामलों की पड़ताल के सिलसिले में सीबीआइ अधिकारी राज्य के पूर्व परिवार कल्याण महानिदेशक एसपी राम, मुरादाबाद की कंपनी मेसर्स गुरुकृपा के मालिक सौरभ जैन और उत्तर प्रदेश लघु उद्योग विकास निगम [यूपीएसआइसी] के प्रबंध निदेशक अभय कुमार वाजपेयी से पूछताछ कर रही है। इन तीनों से 4.42 करोड़ के चिकित्सा उपकरणों की खरीद के बारे में सवाल पूछे जा रहे हैं। यूपीएसआइसी के मार्फत की गई इन उपकरणों की खरीद में 1.5 करोड़ रुपये घोटाले का आरोप है।