पिछले 36 घंटे से इंडिया का हर हिंदी चेनल उत्तर प्रदेश के भ्रष्टतम मंत्री के रूप में आरोपी बाबूसिंह पर कई घंटे खर्च कर चुका है| चर्चा केवल एक मुद्दे पर बाबू सिंह कुशवाहा पर हो रही है| उत्तर प्रदेश में NRHM में कई हजार करोड़ के घोटाले के दाग से संलिप्त कुशवाहा को भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पार्टी में शामिल कर लिया| बहुजन समाज पार्टी की सरकार की मुखिया ने सबसे पुराने और सबसे विश्वसनीय कुशवाहा को पार्टी से बाहर निकाल दिया था| कुशवाहा शाक्य कुशवाहा, काछी, शाक्य मौर्या सैनी पिछड़े समाज से हैं जिसके यूपी में लगभग 4.5 प्रतिशत वोट हैं| यूपी चुनावी संग्राम छिड़ा हुआ है और यूपी के भारत (ग्रामीण अंचलो) में इस बार भी शत प्रतिशत वोट जात पात पर ही पड़ने वाला है| अन्ना का भ्रष्टाचार का मुद्दा केवल यूपी के इंडिया (शहरी क्षेत्र) में तो आंशिक चल सकता है मगर भारत में इसका कोई असर नहीं है|
भाजपा ने कुशवाहा को अपनी गोदी में बिठा कर खालिस वोट बैंक की राजनीति की है| कुछ दिनों पहले यही चाल कांग्रेस ने अल्पसंख्यक मुसलमानों को आरक्षण देकर की थी| अख़बार, इंटरनेट मीडिया, टीवी चेनल, अन्ना, केजरीवाल, राहुल गाँधी, किरण बेदी सहित वे सभी जो भ्रष्टाचार को मुद्दा मान यूपी में चुनावी गणित देख रहे है या तो खुद धोखे में हैं जनता को बेबकूफ समझते हैं| यूपी में सभी राजनैतिक दल टिकेट जाति के आंकड़ो पर बाट रहे हैं| बसपा में टिकेट की अदलाबदली जातिगत आंकड़ो को लेकर सबसे ज्यादा हुई है| चुनाव प्रचार गाँव देहात से नगर तक शुरू हो चुका है, हर कोने पर चर्चा जात पात की हो रही है किस जात के कितने वोट हैं| कौन जात का स्टार प्रचारक कितने वोट दिला सकता है| चुनाव शुरू होते ही भ्रष्टाचार और अन्ना गायब हो गए है| रही बात टीवी की राजनीति पर चिल्ल पो की, तो यूपी में जनता टीवी देख कर वोट नहीं देती| अगर टीवी को देख वोट पड़ते होते तो पिछले 2007 के चुनाव में IBN7 ने एक स्टिंग आपरेशन के प्रसारण के दौरान एटा के अवधपाल यादव की धज्जियां उड़ा दी थी मगर अवधपाल रिकॉर्ड मतों से जीते थे| और प्रदेश सरकार में मंत्री बने थे| उनकी जीत का कारण कारण साफ़ था कि अवध पाल सिंह जिस अलीगंज विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे वहां के लोग टीवी नहीं देखते, वे तो अवधपाल की शराब देखते हैं|
टी आर पी की दौड़ में उलझे देश के समाचार चेनल को लोग महानगरो में देखते हैं| इसका दिल्ली में असर पड़ सकता है, बम्बई में पड़ सकता है मगर यू पी में इसका कोई असर नहीं| कुशवाहा की जात समाज के लोग भाजपा को जिताने और बसपा को हराने के लिए तैयार हो चुके हैं| उनके दिमाग में NRHM घोटाले का कोई असर नहीं है| बात राजनीति रुपी वेश्या की है, इसमें सब जायज है| चाणक्य सूत्रम की बात आज भी अडिग है- राजनीति उस वेश्या के सामान है जो हर रात अपना घर बदल सकती है| इस खेल में बात केवल सिंहासन की होनी चाहिए| शायद इसीलिए चाणक्य ने खुद सत्ता पर बैठने की जगह केवल चाणक्य बनने की चाहत रखी थी|