बाबू सिंह: न खुदा ही मिला, न विसाल-ए-सनम…………….

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बैकफुट पर भाजपा, न टिकट मिलेगा और न प्रचार का मौका

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एनआरएचएम घोटाले में आरोपी उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा दो दिन पहले ही भाजपा में शामिल हुए थे। दागी मंत्री बाबू को भाजपा में शामिल किए जाने को लेकर विरोधी दलों और पार्टी के भीतर भी आलोचनाओं को देखते हुए भाजपा बैकफुट पर नजर आ रही है। पार्टी ने उन्हें प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में न तो टिकट देने और न ही स्टार प्रचारक बनाने का संकेत दे दिया है।

गौरतलब है कि कुशवाहा को पार्टी में शामिल किए जाने पर पार्टी के बड़े नेताओं का कहना है कि इससे पार्टी की भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई कमजोर पड़ेगी। सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष गडकरी की सहमति से ही कुशवाहा को पार्टी में शामिल किया गया है। भाजपा उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मायावती को चुनाव में घेरना चाह रही है। कुशवाहा को टिकट देने या स्टार प्रचारक बनाने के सवाल पर पार्टी उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि चुनाव से पहले हम कई लोगों को पार्टी में शामिल करते हैं। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि उन्हें चुनाव टिकट भी दिया जाए। इस मामले में पार्टी उन्हें टिकट देने पर विचार नहीं कर रही है। नकवी ने पार्टी का बचाव करते हुए यह भी कहा कि भाजपा घोटालेबाजों का कवच नहीं है।

उधर, बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी के बारे में बताया जा रहा है कि वह कुशवाहा को पार्टी में शामिल किए जाने से नाराज हैं। सुषमा स्वराज और अरुण जेटली भी पार्टी के इस कदम से खुश नहीं हैं। बताया जाता है कि भ्रष्टाचार के विरूद्ध जन चेतना यात्रा करने वाले वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी भ्रष्टाचार के आरोप में मायावती मंत्रिपरिषद से बख्रास्त ओबीसी नेता कुशवाहा को पार्टी में लेने और उन्हें टिकट दिए जाने की खबरों से नाखुश हैं। इस बारे में आडवाणी की नाखुशी के बारे में पूछे जाने पर नकवी ने हालांकि कहा, यह फैसला संयुक्त रूप से किया गया है और पार्टी इस मामले में एकजुट है।

सूत्रों ने बताया कि पार्टी के कुछ नेता कुशवाहा को भाजपा में शामिल करने से उलझन में हैं। उनका कहना है कि इसके बावजूद कुशवाहा को पार्टी में शामिल किए जाने की विरोधी दलों की आलोचनाओं पर भाजपा ने आक्रमक रुख इसलिए अपनाया है कि कहीं 2004 के लोकसभा चुनाव जैसी स्थिति नही बन जाए जब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नेता डीपी यादव को भाजपा में लिया गया था।उस समय चुनाव से ऐन पहले यादव को भाजपा में शामिल किया गया था, लेकिन आलोचनाओं से घिर जाने पर पार्टी को कुछ ही दिन के भीतर उन्हें निकालना पड़ा।