सर्व शिक्षा अभियान का सपना था कि सरकारी स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई पर अभिभावकों की सीधी नजर होगी, मास्टर साहब बच्चों की पढ़ाई में आना-कानी नहीं कर पाएंगे, पैरेंट्स बताएंगे कि बच्चों को कैसी शिक्षा दी जाए। इसके लिए प्रदेश में 1.43 लाख विद्यालय प्रबंध समितियों के गठन के निर्देश दिये गये। परंतु जमीनी हकीकत यह है कि गुरूजी ने कागजों पर ही प्रबंध समितियों का गठन कर दिया गया।
अब शासन ने इन समितियों को उनके दायित्व की जानकारी देने के लिये जनपद स्तर पर प्रशिक्षण की व्यवस्था की है। इसमें सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारियों को ट्रेनिंग समेत 3 सदस्यों को ट्रेनिंग दी जाएगी। सर्वशिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशालय ने ट्रेनिंग के लिए 15.84 लाख जिलों को भेज दिए हैं।
प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के साथ स्कूल में विद्यालय प्रबंध समिति गठन करने का निर्देश दिया था। प्रदेश में अब तक 1 लाख, 43 हजार, 183 प्रबंध समितियां गठित किये जाने का दावा किया जा रहा है। प्रबंध समितियों का मुख्य काम सरकारी स्कूलों में बच्चों को दी जाने वाली शिक्षा पर नजर रखना है। समितियां इस पर भी नजर रखेंगी कि योजनाओं का लाभ बच्चों को दिया जा रहा है या नहीं। मास्टर साहब समय से स्कूल आते हैं या नहीं। विद्यालय प्रबंध समितियों को खराब आचरण वाले शिक्षकों पर कार्रवाई के लिए लिखने का अधिकार होगा।
सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक पार्थ सारथी सेन शर्मा ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) प्राचार्यों को प्रबंध समिति के सदस्यों को प्रशिक्षण देने का निर्देश दिया है। प्रत्येक प्रशिक्षण में संबंधित विकास खंड के सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी जरूर उपस्थित रहेगा। जिला स्तर पर आयोजित होने वाला प्रशिक्षण प्रत्येक दशा में दिसंबर में समाप्त हो जाएगा। प्रशिक्षण में आने वालों को जन पहल और हस्त पुस्तिका दी जाएगी। इसके आधार पर ही स्कूलों में पढ़ाई का माहौल सुधारा जाएगा।