आखिर मुसीबत में ही क्यों याद आते भगवान ?

Uncategorized

हमे जब भी कोई दुःख या कोई परेशानी होती है, तो हम तुंरत इश्वर, अल्लाह, भगवान जिस नाम से भी उन्हें बुलाते हैं, से प्रार्थना करने लगते हैं कि- भगवान मेरा ये काम बनवा दो, मेरे दुःख दूर कर दो, अगर पूरा हो गया तो भगवान को भूल जाते हैं… अगर नहीं पूरा हुआ तो भगवान को बुरा, भला और निर्दयी कह कर कोसने लगते हैं…
क्या कभी सोचा है कि भगवान पे क्या गुजरती होगी?
क्या कभी सोचा है कि एक दिन भी अगर भगवान अपने काम से छुट्टी लेकर चले जाएँ या अपना काम समय से ना करें, तो क्या होगा? शायद हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते… अरे सोच कर देखिये कि अगर सूरज, हवा, बारिश समय पर अपना काम ना करे तो क्या होगा?

लेकिन इंसान तो इंसान ठहरा, वो सारी शक्तियां केवल अपने लिए ही इस्तेमाल करता है, वो फेमस हो जाता है जो जॉब वो चाहता था वो पा लेता है, लेकिन इस सब के बीच वो कई लोगो को विपदा में डाल देता है और अपने प्यार को भी खो बैठता है…
भगवान से पूरी दुनिया में हरपल कितने ही लोग ना जाने क्या-क्या मांगते हैं उसे वो सब सुनायी देती रहती है… आखिर वो उस समय भगवान ही तो था। वो उन आवाजो से परेशां हो जाता है… और सभी कामनाओं को पूरा होने का आशीर्वाद दे देता है…
और फ़िर वही होता है जो की बिना भगवान के होगा। सब कुछ उलटपुलट हो जाता है। वो तो भगवान ने उसे काम करने के लिए सिर्फ़ एक छोटा सा शहर दिया था, जिसमे की वो रहता था। इतने में ही उसका बुरा हाल हो जाता है… पूरे शहर की विशेज का उसके कानो में गूंजना, प्यार का खो जाना… आखिर उसके किए कामो से शहर पागल सा हो जाता है… जब उसके बस में कुछ नहीं रहता तो फ़िर वही…आखिर में उसे इश्वर की ही याद आती है… और इश्वर जिन्हें हम निर्दयी, बुरा और ना जाने क्या-क्या कह कर बुलाते हैं वो आ जाते हैं अपने बच्चे को सँभालने और सब कुछ ठीक कर देते हैं…