इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने आर्य समाज संस्थाओं सहित अन्य वैवाहिक संस्थाओं द्वारा शादी का प्रमाण पत्र जारी करने पर फिलहाल रोक लगा दी है। अदालत ने कहा है कि इन संस्थाओं की जांच सचिव स्तर के अधिकारी से कराई जाए और जांच रिपोर्ट पीठ में आने तक यह संस्थाएं विवाह प्रमाण पत्र जारी न करें।
पीठ ने डीजीपी को निर्देश दिए हैं कि वह आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराएं। न्यायमूर्ति एसएन शुक्ला व न्यायमूर्ति एसवीएस राठौर की खंडपीठ ने अंबेडकर नगर के थाना जहांगीर नगर निवासी इंद्रेश उर्फ गोलू की ओर से दायर याचिका पर यह आदेश दिया है। विदित हो कि वादी रामस्वरूप ने 19 फरवरी 2011 को प्राथमिकी दर्ज करायी थी कि उसकी नाबालिग पुत्री को इंद्रेश उर्फ गोलू बहला-फुसला कर ले गया है।
इस प्राथमिकी को चुनौती देते हुए इंद्रेश ने गिरफ्तारी पर रोक लगाये जाने की याचिका दायर की। याची इंद्रेश की ओर से कहा गया कि उसने 21 जुलाई 2011 को आर्य समाज मंदिर राजाजीपुरम् में उन्होंने शादी की है। इस मामले में पीठ ने आर्य समाज मंदिर के सचिव जय सिंह को भी तलब किया। कागजातों को देखने के बाद अदालत के संज्ञान में आया कि वादी की पुत्री को जो उम्र दर्शाने के लिए जो टीसी (ट्रांसफर सार्टिफिकेट) जारी हुई वह विवाह के बाद अक्टूबर 2011 की है। पीठ ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए इसकी व अन्य सभी वैवाहिक संस्थानों की जांच सचिव स्तर के अधिकारी को सौंपी है।