केंद्र सरकार की योजना बच्चों की जगह भैंसे खा रही पंजीरी

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फर्रुखाबाद: जनपद में एक बड़े पैमाने पर पुष्टाहार की कालाबाजारी धड़ल्ले से हो रही है लेकिन प्रशासन का ध्यान इस ओर क्यों नहीं जा रहा है| यह विषय सोचनीय है|

अभी बीते दिन की बात ही है कि एक ठेकेदार व कई कार्यकत्रियों का कालाबाजारी की जानकारी हुयी जिसके तहत आज सुबह करीब १०० बोरियों को नवाबगंज के एक किराना दुकानदार कल्याण शक्य उर्फ़ कल्लू के यहाँ देखा गया था| जिसकी दुकान नवाबगंज में वर्तन वाली गली के पास है| जिसके यहाँ ज्योनी की आगनबाडी कार्यकत्री सत्यवती शाक्य, ज्योना निवासी नीरज, दूदेमई पिंकी कठेरिया ने टाटा मैजिक नंबर यूपी ८१ AA /9190 से करीब १०० बोरियां कल्याण शाक्य के घर पर ले जाती देखी गयी थीं|

अभी शायद यह खबर लोगों ने संभाल कर पढ़ भी नहीं पायी थी कि JNI के कैमरे ने एक और पुष्टाहार खरीदार को कैद कर लिया| महाशय पंजीरी की बोरी को अस्पताल रोड स्थित चक्की की दुकान से १८० रुपये में खरीदकर साइकिल में दबाकर चल दिए| यह महाशय थाना नवाबगंज के ग्राम सलेमपुर के खरीददार है| जोकि सर्व शिक्षा अभियान को भूसे में मिलाकर अपने जानवरों को हष्ट पुष्ट बनाने के लिए खिला रहे हैं|

खरीददार का कहना है कि यह पुष्टाहार खाकर भैंसे दूध अधिक देता है तभी तो हम खरीदकर लाते हैं| और अधिक दूध देगी भी क्यों नहीं क्योंकि यह आम पंजीरी नहीं केंद्र सरकार की योजना के तहत स्वादिष्ट पंजीरी हैं| खरीदार ने बताया कि यह बाजार में मिल रहे पशु आहार से कई गुना पौष्टिक है व इसमें शकर मिली होने की बजह से भैंसे खुशी खुशी सारा चारा चाट कर जाती हैं| क्या करूं पैसे कम पड़ गए थे नहीं तो चक्की पर बहुत सारी रखी थीं| दो चार दिन बाद यह खत्म हो जायेंगी तब तक ब्लाक से स्पेलर पर बोरियां आ जायेंगी स्पेलर से हम उठा लेंगें|

जनाब के बताने का तरीका तो देखिये ऐसे कह रहे है मानो केंद्र सरकार योजना बच्चों के लिए नहीं भैंसों की दूध की मात्रा बढाने के लिए चला है| खरीददार ने बताया कि पंजीरी खरीदने के दो फायदे हैं पहला भैंसे तो खाती ही हैं सुबह बच्चे नास्ते में देर होने पर पंजीरी की बोरी में मुंह लगा देते हैं| इतने सारे फायदे तो आप ही बताओं क्यों न खरीदें………………?