लोक आयुक्त ने की अंबेडकर ग्राम विकास मंत्री की बर्खास्तगी की सिफारिश

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विधायक निधि के दुरुपयोग और ग्राम समाज की जमीन हथियाने के आरोप साबित

 

लोक आयुक्त न्यायमूर्ति एनके महरोत्रा की जांच में अंबेडकर ग्राम विकास राज्य मंत्री रतन लाल अहिरवार को बुंदेलखंड विकास निधि व विधायक निधि के दुरुपयोग तथा ग्रामसभा की जमीन पर अवैध कब्जे का दोषी पाया गया है। जांच रिपोर्ट में श्री महरोत्रा ने मुख्यमंत्री मायावती से उन्हें पद से हटाने की सिफारिश की है। इसके अलावा मंत्री द्वारा अपने विद्यालय को बुंदेलखंड विकास निधि से आवंटित कराए गए 9.56 लाख रुपये तथा विधायक निधि से दिए गए 29.76 करोड़ रुपये की वसूली भी करने की सिफारिश भी की गई है। लोक आयुक्त ने इन सिफारिशों पर एक माह में कार्रवाई करके सूचित करने को कहा है। मंत्री के अलावा 2007-08 में झांसी में तैनात सीडीओ गया प्रसाद, परियोजना निदेशक अभय कांत गुप्ता व सहायक अभियंता अजय कुमार श्रीवास्तव के खिलाफ कार्रवाई करने तथा ग्रामसभा की जमीन मंत्री के कब्जे से मुक्त कराने और अवैध कब्जे को लेकर अहिरवार के खिलाफ चल रहे मुकदमे की वापसी के आदेश पर पुनर्विचार की सिफारिश की गई है। यही नहीं तत्कालीन मंडलायुक्त सोबरन सिंह यादव के खिलाफ भी सेवा नियमावली के तहत कार्रवाई की सिफारिश की गई है।

लोकायुक्त की जांच रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2004 में विधायक रहने के दौरान रतन लाल अहिरवार के दबाव के चलते झांसी के तत्कालीन मंडलायुक्त सोबरन सिंह यादव ने शासनादेशों एवं मार्गदर्शी सिद्धांतों की अनदेखी कर अहिरवार के डा. बीआर अंबेडकर जूनियर हाई स्कूल पुनावली कला, बबीना के नाम बुंदेलखंड विकास निधि से 9.56 लाख रुपये जारी किए जो राज्य सरकार के निर्णय के विपरीत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2007-08 में अहिरवार के विद्यालय को भूमि के स्वामित्व की जांच किए बिना ही 27.97 लाख रुपये तथा 1.79 लाख रुपये (कुल 29.76 लाख रुपये) उनकी विधायक निधि से उनके विद्यालय को जारी कर दी गई। तत्कालीन सीडीओ,  परियोजना अधिकारी और सहायक अभियंता डीआरडीए ने मंत्री के दबाव में आकर यह धनराशि जारी की। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मंत्री का ही प्रभाव है कि बिना जांच के 25 लाख रुपये की सीमा को तोड़ते हुए विधायक निधि अवमुक्त कर दी गई।

जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्राम सभा पहाड़ के गाटा संख्या 1045 की 0.109 हेक्टेयर जमीन अहिरवार के विद्यालय के पास 2006 से अवैध कब्जे में है। इसका पट्टा न तो विद्यालय के नाम है और न ही राज्यमंत्री के नाम। लेखपाल ने 2006 में जो आपराधिक मुकदमा दर्ज कराया था उसे न्याय विभाग ने वापस किया है लेकिन न्यायालय ने मुकदमा वापस लेने की अनुमति अभी नहीं दी है। अभियोजन अधिकारी ने न्यायालय के आदेश को रिवीजन में चुनौती दी है जो लंबित है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में भगवत नारायण काछी द्वारा दाखिल पीआईएल के बाद कब्जे के तीन वर्ष बाद राजस्व विभाग ने अहिरवार के विद्यालय के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है लेकिन अहिरवार के मंत्री पद पर रहते इस मुकदमें का निस्तारण संभव नहीं दिखाई दे रहा है। ग्राम सभा की जमीन पर अवैध कब्जा रहते हुए अभियोजन वापसी का कोई औचित्य नहीं है। लोकायुक्त की रिपोर्ट में अहिरवा को मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के सीजेएम कोर्ट से एक वर्ष के कारावास का दंड मिलने का भी उल्लेख किया गया है।