लखनऊ। मायावती की तरह उनकी पार्टी के विधायकों के भीतर भी मूर्ति प्रेम जग गया है। इसमें से एक है इलाहाबाद के कर्छाना से विधायक कलेक्टर पाण्डेय जिन्होंने अपने पिता की मूर्ति सड़क पर लगाने का प्रयास किया लेकिन एक समाज सेवी ने हाईकोर्ट में याचिक लगाकर उनकी मंशा पर पानी फेर दिया।
याचिका की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मूर्ति के अनावरण पर रो लगा दी। ज्ञात हो कि मूर्ति का अनावरण 30 अक्टूबर को मेजा रोड चौराहे के निकट होना था तथा अनावर में मुख्य अतिथि के तौर पर विधान सभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर को आना था।
याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अशोक भूषण और कृष्ण मुरारी की खंडपीठ ने पूरा मामला सुना जिसमें समाजसेवक रमेश चन्द्र पाण्डेय द्वारा यह कहा गया था कि सिरसा मार्ग तिराहे पर विधायक के पिता राम स्वरूप उर्फ बबऊ पाण्डेय की मूर्ति लगायी गयी है। इस स्थान पर सड़क मात्र पांच गुणा पांच मीटर की है। यदि मूर्ति लगायी जाती है तो इससे आवागमन में बाधा उत्पन्न होगी तथा राहगीरों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। याचिका में कहा गया कि मूर्ति लगने से वहां दुर्घटनाएं भी बढ़ गयी है।
याची की ओर से अधिवक्ता शैलेन्द्र और प्रभाकर अवस्थी ने पक्ष रखा। याचिका का विरोध करते हुए अपर महाधिवक्ता वीके सिंह ने कहा कि मूर्ति राष्ट्रीय राजमार्ग के निकट लगायी गयी है। वहां 21 मीटर चौड़ी सड़क है। दोनों पक्षा की बात सुनने के बाद अदालत ने प्रस्तावित अनावरण कार्यक्रम पर रोक लगाते हुए मौके पर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया है। याचिका को नौ नवम्बर को नियमित बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए रखने का निर्देश दिया। अदालत ने सरकार से प्रश्न किया कि किस कानून के तहत चौराहे पर मूर्ति लगायी जा रही है।
उल्लेखनीय है कि बबऊ पांडेय जनसेवा संस्थान द्वारा सिरसा तिराहा पर 30 अक्टूबर को राम स्वरूप उर्फ बबऊ पाण्डेय की मूर्ति का अनावरण होना था। इसके लिए विधान सभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था। इतना ही नहीं सरकार के तीन अन्य मंत्री भी कार्यक्रम में आमंत्रित थे जिसमें लाल जी वर्मा, राकेशधर त्रिपाठी एवं नंदगोपाल गुप्ता नंदी को बतौर विशिष्ट अतिथि आमंत्रित किया गया था।